धर्म संस्कृति : व्यक्तित्व एवं कृतित्व से महान थे महासती नानुकुंवरजी और आचार्य आनंदऋषिजी
⚫ आचार्य प्रवर विजयराजजी मसा ने कहा
⚫ छोटू भाई की बगीची में गुणानुवाद सभा
हरमुद्दा
रतलाम,18 जुलाई। शेक्सपीयर ने कहा है-कुछ लोग जन्मजात महापुरूष होते है, जबकि कुछ लोग अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से महाने बनते है। महासती नानुकुुंवरजी मसा एवं आचार्य सम्राट आनंदऋषिजी मसा ने अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से महानता अर्जित की थी। भौतिक रूप से वे आज हमारे बीच में नहीं है, लेकिन उनका जीवन युगों-युगों तक हमारा पथ प्रदर्शन करता रहेगा।
यह बात परम पूज्य प्रज्ञा निधि युगपुरुष आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। उनकी निश्रा में मंगलवार को महासती नानुकुुंवरजी मसा का पुण्यतिथि एवं आचार्य सम्राट आनंदऋषिजी मसा का जन्म जयंती पर स्मरण किया गया। छोटू भाई की बगीची में आयोजित गुणानुवाद सभा में आचार्य प्रवर ने कहा कि महासती नानुकुंवरजी का 56 वर्षों का दीक्षा पर्याय रहा और इसमें उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक आदि राज्यों में विचरण कर जिनशासन की खूब प्रभावना की। संयम के प्रति अडिग महासतीजी वचन लब्धि से सम्पन्न थी, उनके मुंह से कुछ निकलता, तो वह होकर रहता था। सही निर्णय और सही सलाह उनका सदैव पर्याय रहा। वे महागुणी थी और आचार्य सम्राट महागुरू थे। आचार्य सम्राट की सौम्यता, सरलता और समन्वय शीलता अदभुत थी। श्रमण संघ के आचार्य होने के बाद भी उनके जीवन में बहुत सादगी रही। वे किसी एक सम्प्रदाय के नहीं अपितु सरलता, सादगी और समन्वय शीलता के साधक थे।
उनके आदर्शों का अनुसरण ही उनके प्रति सच्चा गुणानुवाद
आचार्यश्री ने कहा कि महागुरू आचार्य सम्राट और महागुणी महासती पर महानता थोपी नहीं गई थी। वे अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से महान हुए है। उनके आदर्शों का अनुसरण ही उनके प्रति सच्चा गुणानुवाद होगा। इससे पूर्व उपाध्याय, प्रज्ञारत्न श्री जितेशमुनिजी मसा ने गुणानुवाद सभा में कहा कि महासतीजी विशाल व्यक्तित्व की धनी थी। आचार्य सम्राट पुण्यशाली महापुरूष थे। उनका गुणगान करना हमारे लिए सौभाग्य है।
गुणानुवाद पर आधारित किए रोचक प्रश्न
सभा को विद्वान श्री धर्यमुनिजी मसा ने भी संबोधित किया। मधुर व्याख्यानी, विदुषी, महासती श्री कनकश्रीजी मसा एवं तपस्विनी, कवयित्री इन्दुप्रभा जी मसा ने भाव व्यक्त किए। अंत में आदर्श संयमरत्न श्री विशालप्रिय मुनिजी मसा ने श्रावक-श्राविकाओं से गुणानुवाद पर आधारित रोचक प्रश्न किए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। संचालन हर्षित कांठेड द्वारा किया गया।