धर्म संस्कृति : अति विश्वास, अति आकांक्षा, अति भावुकता और अति चंचलता से बचो

आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा

हरमुद्दा
रतलाम,01 अगस्त। विश्वास वह डोर है, जो आत्मा को महात्मा और महात्मा को परमात्मा बना देती है। विश्वास के बिना संसार नहीं चल सकता, लेकिन आज संसार में पग-पग पर विश्वासघात फैला है। सांसारी लोग धोखे पर धोखे दे रहे है। विश्वासघात से बचना है, तो अति विश्वास, अति आकांक्षा, अति भावुकता और अति चंचलता से बचो।


यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में दुर्मति के दोषों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वासघात दुर्मति का ऐसा दोष है, जो सबकुछ खत्म कर देता है। ज्ञानियों के अनुसार अति विश्वास, अति आकांक्षा, अति भावुकता और अति चंचलता ये चार बाते ही विश्वासघात करती है। विश्वास सृजन होता है, इसके बिना जिदंगी नहीं चल सकती। विश्वास ही  संबंध बनाता है, उन्हें चलाता है और फलाता भी है। विश्वास एक सुरक्षा है, इसके बिना कुछ संभव नहीं है। धर्म, आत्मा और परमात्मा सभी विश्वास से ही चलते और फलते है। विश्वास वह आक्सीजन है, जो आत्मा को आक्सीजन देता है। इसी विश्वास के सेतु पर चलकर कई आत्माएं परमात्मा बनी है। 
आचार्यश्री ने कहा कि संत कभी विश्वासघात नहीं करते, जो विश्वासघात करता है, वह संत नहीं होता। इसके विपरीत संासारी बहुत विश्वासघात करते है। वे इसके बिना रह नहीं सकते। उनके मूल में ही विश्वासघात रहता है, जो उचित नहीं है। इससे बचने के लिए आवश्यक है कि यदि किसी पर विश्वास करो, तो अति विश्वास मत करो। उससे अति आकांक्षा मत करो और अति चंचलता भी मत रखो, अन्यथा वह निश्चित तौर घात देगी। सांप का डसा एक बार जिंदा रह सकता है, लेकिन विश्वासघात का दंश ताप भी देता है, संताप भी देता है और जिदंगीभर का पश्चाताप भी देे देता हैं।
आचार्यश्री ने सबसे किसी से विश्वासघात नहीं करने का संकल्प लेने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ-कुछ पर करो, लेकिन बैर किसी से नहीं करने का मंत्र यदि अपनाया, तो जीवन सफल हो जाएगा।

आचरण क्षेत्र का किया वाचन

आरंभ में उपाध्याय प्रवर, प्रज्ञारत्न श्री जितेश मुनिजी मसा ने आचरण सूत्र का वाचन किया। विद्यावाग्नी महासती श्री गुप्तिजी मसा की मासक्षमण तपस्या पूर्ण होने पर उनके सांसारिक भाई दिलीप माकाणा ने भी विचार रखे। इस दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।

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