धर्म संस्कृति : दुर्योधन, कंस, रावण के अभिमान नहीं रहे, तो तुम्हारे कहां रहेंगे ?

आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा

छोटू भाई की बगीची में चातुर्मासिक प्रवचन

सन्मति के गुण सम्यक ज्ञान का विवेचन

हरमुद्दा
रतलाम,26 अगस्त। मनुष्य को थोडा ज्ञान होने पर ही सर्वज्ञानी होने का अभिमान हो जाता है। अभिमान का त्याग  हीं सबसे बडा त्याग है, जो यह त्याग कर विनम्रता को अपना लेता है, वह महान होता है। जीवन में यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि दुर्योधन, कंस और रावण जैसे सर्व शक्ति शालियों का अभिमान भी नहीं रहा, तो हमारा कहां से रहेगा।


यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने छोटू भाई की बगीची में चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान कही। सन्मति के गुण सम्यक ज्ञान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि महापुरूषों के अनुसार देने के लिए दान, लेने के लिए ज्ञान और त्यागने के लिए अभिमान होता है। दान केवल वस्तु का ही नहीं होता, अपितु अनुमोदना करके भी व्यक्ति महादानी बन सकता है। ज्ञान यदि विनम्र होकर प्राप्त किया जाता है, तो वह व्यक्ति को महान बना देता हैं। इसी प्रकार यदि अभिमान त्यागने के लिए है, ये किसी ने समझ लिया तो समझो कि उसे सम्यक ज्ञान का मर्म समझ में आ गया है।

अहंकार धिक्कार और विनम्रता संस्कार

आचार्यश्री ने कहा कि अभिमान तभी तक रहता है, जब तक सम्यक ज्ञान प्राप्त नहीं होता। अभिमान कई प्रकार का होता है और ये मानव मात्र में पाया जाता हैं। इसका त्याग ही सच्चा त्याग है। वक्त का कोई भरोसा नहीं है, वह कब किस करवट बैठता है, इसका अंदाजा किसी को नहीं रहता, इसलिए अभिमान नहीं करना चाहिए। संसार में अहंकार धिक्कार है और विनम्रता संस्कार है। सम्यक ज्ञान की प्राप्ति विनम्रता ही कराती है, इसलिए सबका लक्ष्य अहंकारी नहीं विनम्र बनने का होना चाहिए।

रविवार को होगा सिद्धि तब पारणा

आचार्यश्री से इस मौके पर महासती श्री मोहकप्रभाजी मसा ने 23 उपवास, सुश्राविका सुनीता बोहरा ने 30 उपवास एवं सिद्धी तप कर रही रूपाली मेहता ने 8 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। श्रीमती मेहता के सिद्धी तप का पारणा रविवार को होगा। आचार्यश्री ने तप आराधना की अनुमोदना करते हुए कहा कि संकल्प में बडी शक्ति होती है। अभ्युदय चातुर्मास के दौरान संकल्पबद्ध होकर कई आराधक तपस्याएं कर चुके है। आरंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनिजी मसा ने आचारण सूत्र का वाचन करते हुए तप, त्याग के क्षेत्र में आगे बढने का आव्हान किया।  इस दौरान सैकडों श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।

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