धर्म संस्कृति : संसार का कोई भी सुख अविनाशी नहीं

मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. ने कहा

हरमुद्दा
रतलाम,29 अगस्त। सुख के पांच कलंक- डिपेंड, डिफेक्टिव, डिस्ट्रेक्टिव, डिस्कोंटेक्ट और डिसेक्टिव है।संसार का कोई भी सुख आपको सुख नहीं देगा। कोई भी सुख अविनाशी नहीं है। हर सुख आपको नरक की ओर ले जाएगा।

यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. ने मंगलवार को सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में प्रवचन के दौरान कही। मुनीराज ने कहा कि संसार के अंदर जो भी सुख मिला है, वह सभी डिपेंडेंट है, कोई भी इंडिपेंडेंट नही है ।सभी सुख डिफेक्टिव है। संसार में जो भी सुख मिला है, उसमें कहीं भी परिपूर्णता नहीं है। प्रभु के वचन का हर सुख डिटेक्टिव है। आपको संसार में बिना पानी का दूध मिल जायेगा, बिना मिलावट का सोना भी मिल जायेगा, लेकिन सुख में कहीं ना कहीं आपको मिलावट तो मिलेगी।

मत भागों संपत्ति के पीछे

मुनीराज ने कहा कि आप संपत्ति के पीछे मत भागो। संसार के सभी सुखों का नाश होगा। कोई भी सुख अविनाशी नहीं है। सुख को तो जाना ही है तो फिर हम उसके पीछे क्यों भागते हैं। आपके पुण्य से ही आपको सुख की प्राप्ति होती है।

रक्षाबंधन पर्व पर विशेष प्रवचन

सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में रक्षाबंधन के पावन अवसर पर आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा के “सबसे ऊंची प्रेम सगाई” विषय पर विशेष प्रवचन होंगे। प्रवचन का समय सुबह 9.15 से 10.15 बजे रहेगा। श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय एवं श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी ने उक्त प्रवचन सुनकर ही रक्षाबंधन पर्व मनाने का आह्वान किया है।

काफी संख्या में मौजूद श्रावक श्राविकाएं

श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के तत्वावधान में आयोजित प्रवचन में श्री संघ के पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *