धर्म संस्कृति : विजयवर्गीय वैश्य समाज रतलाम की पहल, महिला मंडल ने मनाया बछ बारस पर्व
⚫ सामूहिक रूप से गाय-बछड़े का किया पूजन
⚫ 13 परिवार ने किया बछ बारस का सामूहिक उद्यापन
हरमुद्दा
रतलाम, 11 सितंबर। विजयवर्गीय वैश्य समाज के विजयवर्गीय महिला मंडल रतलाम की पहल पर महिला मंडल द्वारा बछ बारस पर्व मनाया गया। 13 परिवारों द्वारा व्रत का उद्यापन किया गया। गाय बछड़े की सामूहिक रूप से पूजा की गई।
जन अभियान परिषद के रत्नेश विजयवर्गीय ने हरमुद्दा बताया कि सामूहिक पूजा अर्चना एवं उद्यापन का आयोजन जलसा गार्डन में किया गया। विजयवर्गीय वैश्य समाज रतलाम की पहल पर पहली बार सामूहिक व्रत उद्यापन की शुरुआत की गई। इस अवसर पर 200 से अधिक महिलाओं ने सामुहिक भोजन किया। सभी महिलाओं को चांदी की बिछिया भेंट दी गई। कार्यक्रम का व्यय सभी ने मिलकर वहन किया। सामूहिक उद्यापन महिला मंडल अध्यक्ष श्रद्धा विजयवर्गीय के नेतृत्व में ललिता विजयवर्गीय, उषा विजयवर्गीय, कांति विजयवर्गीय, सुधा विजयवर्गीय, कौशल्या विजयवर्गीय, अंजना विजयवर्गीय, सुमन विजयवर्गीय, दीपिका विजयवर्गीय, आकांक्षा विजयवर्गीय, सुरभि विजयवर्गीय, रितु विजयवर्गीय, आयुषी विजयवर्गीय, नेहा विजयवर्गीय में शामिल रही।
व्रत का महत्व
श्री विजयवर्गीय ने बताया कि बछ बारस मनाने के पीछे मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण पहली बार गाय चराने घर से निकले थे। यह पर्व माता यशोदा और श्रीकृष्ण के बीच स्नेह का जीवंत प्रतीक है। भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को भगवान श्रीकृष्ण जंगल में गाय चराने गए थे। पुत्र की चिंता और उसे हर कष्ट से बचाने के लिए माता यशोदा ने कई जतन किए। उनका लाड़ला इतनी देर घर से बाहर रहने वाला था। इसलिए माता पुत्र के पसंद के सभी व्यंजन बनाए। श्रीकृष्ण के प्रथम वन गमन पर गोकुल गांव की हर माता ने कृष्ण के प्रति दुलार प्रकट करने के लिए उनके पसंद के व्यंजन बनाए। श्रीकृष्ण के साथ वन जाने वाली गायों और बछड़ों के लिए भी मूंग, मोठ और बाजरा अंकुरित किया गया। जब वे वापस लौटे तो गाय-बछड़ों का पूजन किया। इस तरह बछ बारस का व्रत अस्तित्व में आया।