सामाजिक सरोकार : हिंदी के प्रति विशेष योगदान के लिए विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि से किया विभूषित

मोटिवेशनल स्पीकर वरिष्ठ राजयोगी बीके सूर्य तथा ब्रह्माकुमारीज मीडिया विंग के नेशनल कॉर्डिनेटर राजयोगी बीके शांतनु हुए सम्मान

अंतरराष्ट्रीय स्तर की हिंदी सेवी संस्था विक्रमशिला हिंदी विद्या पीठ ने दिया सम्मान

प्रजापिता ब्रह्मकुमारीज शांतिवन में आयोजित राष्ट्रीय मीडिया कांफ्रेंस में हुआ आयोजन

हरमुद्दा
आबूरोड, 12 सितंबर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आबू रोड शांतिवन के कांफ्रेंस सभागार में अंतरराष्ट्रीय स्तर की हिंदी सेवी संस्था विक्रमशिला हिंदी विद्या पीठ द्वारा मोटिवेशनल स्पीकर वरिष्ठ राजयोगी बीके सूर्य तथा ब्रह्माकुमारीज मीडिया विंग के नेशनल कॉर्डिनेटर राजयोगी बीके शांतनु को उनके हिंदी के प्रति विशेष योगदान के लिए विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि से विभूषित किया गया है।

विद्यापीठ के उपकुलसचिव डॉ. श्रीगोपाल नारसन ने वरिष्ठ राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी चक्रधारी दीदी, बीके सत्येंद्र भाई, बीके रूपेश भाई , फ़िल्म सिटी मुंबई के मैनेजर रहे ओमवीर सैनी, डॉ. पर्मेद्र देशवाल, केपी चंदेल व अनिल पुंडीर की गरिमामयी उपस्थिति में उन्हें शाल व उपाधि प्रमाण पत्र देकर मीडिया कांफ्रेंस में आए 15 सौ मीडियाकर्मियों व ब्रह्माकुमारीज भाई बहनों की मौजूदगी में सम्मानित किया गया। आयोजन में शामिल सभी मीडियाकर्मियों को प्रमाण पत्र भेंट किए गए।

इसलिए दिया गया इन्हें सम्मान

वरिष्ठ राजयोगी बीके सूर्य विश्वख्यात मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में हिंदी भाषा मे आध्यात्मिक ईश्वरीय ज्ञान व जीवन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए जाने जाते है, जबकि राजयोगी बीके शांतनु ने अहिंदी भाषी क्षेत्र उड़ीसा से होकर भी ब्रह्माकुमारीज में आकर मीडिया विंग के नेशनल कॉर्डिनेटर के रूप में हिंदी की सेवा की।

विक्रमशिला विद्यापीठ प्राचीनतम

विद्यापीठ के उपकुलसचिव गोपाल नारसन ने बताया कि विद्यापीठ के अधिष्ठाता डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’, कुलसचिव डॉ. देवेंद्र नाथ शाह की अनुशंसा पर पीठ की अकादमी परिषद ने यह मानद उपाधि प्रदान करने का निर्णय लिया है,जिसे विद्यापीठ की ओर से उन्हें प्रदान की गई है। उन्होंने विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के स्वर्णिम इतिहास पर भी प्रकाश डाला और कहा कि 8 सौ ईसवी में स्थापित यह विद्यापीठ सबसे पुरातन है,जो आज भी विश्व स्तर पर हिंदी की अलख जगा रही है और हिंदी सेवियों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मिला सम्मान माना आभार

इस अवसर पर बीके सूर्यबीके शांतनु ने विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ  द्वारा उक्त सम्मान देने के लिए आभार प्रकट  किया और विद्यापीठ की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। संचालन बीके सुधीरभाई ने किया।

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