धर्म संस्कृति : धर्म की पूंजी कमाओ, जो इस लोक में भी और परलोक में भी आएगी काम
⚫ आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा
⚫ प्रवचन में बताया पर्युषण पर्व संदेश
हरमुद्दा
रतलाम,12 सितंबर। परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा की निश्रा में मंगलवार को पर्यूषण पर्व तप, त्याग और तपस्या के साथ आरंभ हुए। इस मौके पर आचार्यश्री ने कहा कि धर्म की पूंजी कमाओं। ये पूंजी इस लोक में भी काम आती है और परलोक में काम आएगी। पर्युषण पर्व हमे यही संदेश देते है।
छोटू भाई की बगीची में पर्युषण के पहले दिन आचार्यश्री से कई श्रावक-श्राविकाओं ने फीका दूध पीने और ठंडी चाय पीने सहित तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। संजय मेहता ने 25 उपवास की तप आराधना का संकल्प लिया। इससे पूर्व आचार्यश्री ने कहा कि धर्म के तीन अवदान है। एक व्यवहार में समता, दूसरा स्वभाव में सरलता और तीसरा वचनों में सत्यता। जो व्यक्ति इन अवदानों को अपने जीवन में धारण करता है, वही सच्चा धार्मिक होता है। प्रतिदिन मंदिर अथवा स्थानक जाने से कोई धार्मिक नहीं होता, धार्मिक बनने के लिए व्यवहार में समता, स्वभाव में सरलता और वचनों की सत्यता होना आवश्यक है।
आचार्यश्री ने कहा कि धर्म के तीनों अवदानों को प्राप्त करना कठिन नहीं है। इसके लिए केवल संकल्प शक्ति जरूरी है। व्यक्ति की जब तक पदार्थों के प्रति आसक्ति नहीं छूटती, तब तक उसे धर्म के अवदान प्राप्त नहीं होतें । महात्मा गांधी ने कहा है कि धर्म पशुओं को मानव बनाता है और मानव को महामानव बना देता हैं। इसलिए हर व्यक्ति को धर्म की पूंजी कमाना चाहिए। इसे जो नहीं कमाते, वे मूंजी रह जाते है और आज सारा संसार मुंजियों से भरा पडा हैं। आचार्यश्री ने कहा कि भारत की मुद्रा अमेरिका में काम नहीं आती। रुपए को डालर में बदलना पडता है। ऐसी पूंजी काम नहीं आएगी। केवल धर्म की पूंजी ही ऐसी है, जो पर लोक में काम आती है। वर्तमान में लोग थ्योरीकल धर्म तो समझते है, लेकिन प्रेक्टिकल धर्म नहीं समझना चाहते। धर्म का प्रेक्टिकल ही उसका पावर समझाता है। इसलिए धर्म से जुडकर हर व्यक्ति को इसकी पूंजी कमाना चाहिए।
अंतगढ सूत्र का वाचन
आरंभ में श्री विशालप्रिय मुनिजी मसा ने अंतगढ सूत्र का वाचन किया। उपाध्याय प्रवर श्री जितेश मुनिजी मसा ने भी संबोधित किया। उन्होंने अधिक से अधिक तप-त्याग की प्रेरणा दी। इस दौरान बडी संख्या में धर्मावलंबी उपस्थित रहे।