साहित्य सरोकार : साहित्यकार अजहर हाशमी की पुस्तक ‘ मुक्तक शतक’ का पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने किया विमोचन
⚫ प्रो. हाशमी का लेखन बहुआयामी : डॉ. चतुर्वेदी
हरमुद्दा
रतलाम, 16 सितंबर। प्रख्यात साहित्यकार और चिंतक प्रो. अजहर हाशमी की हाल ही में प्रकाशित पुस्तक “मुक्तक शतक” का पर्यावरण विशेषज्ञ और लेखक डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने वर्चुअल विमोचन किया। पुस्तक, संदर्भ प्रकाशन भोपाल ने प्रकाशित की है।
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि ‘मुक्तक शतक’ शीर्षक से ही पता चल जाता है हाशमी जी की ‘इस पुस्तक में शतक अर्थात एक सौं मुक्तक है। उन्होंने कहा कि प्रो. हाशमी का लेखन बहुआयामी हैं। वे हिन्दी साहित्य की जिस विधा में भी लिखते है अधिकारपूर्वक लिखते हैं। हाशमी जी हिन्दी भाषा में शब्दों का जो संसार रचते हैं वह अद्वितीय है। यही कारण है कि उनके भाषा-वैशिष्ट्य पर शोध-कार्य चल रहा है। मुक्तक शतक की भाषा हाशमी जी के निबंधों और आलेखों की भाषा से बिल्कुल अलग है। चार पंक्तियों की छंद बद्ध रचना जिसकी दूसरी और चौथी पंक्ति तुकांत होती है व मुक्तक कहलाती है। पुस्तक में विविध विषयों पर लिखे गये मुक्तक निस्संदेह प्रेरक हैं और संप्रेषणीय भी। मुक्तक शतक का पहला मुक्तक ही सार्थक संदेश देने में सफल है जैसे:'” इरादा नेक रखकर कोशिशें करना/ निराशा की डगर लम्बी नहीं होती / सुबह का सूर्य यह संदेश देता है। अँधेरे की उमर लम्बी नहीं होती ।”
जोश और उत्साह की फिर से स्थापना करते हैं युवा पीढ़ी में
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि अवसाद ग्रस्त युवा पीढ़ी में जोश और उत्साह की फिर से स्थापना करने में हाशमी जी का यह मुक्तक सरल शब्दों में सीधा संदेश दे रहा है कि- ” अपने गुण को आप पहचानो युवक / गुण यानी अपनी ऊर्जा जानो युवक / फिर नया इतिहास लिख सकते हो तुम। अपने मन में कुछ नया ठानो युवक ।” डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि हाशमी जी का मुक्तक-शतक दरअसल बहुत सरल शब्दों में जीवन-दर्शन है। उनके मुक्तक हर पीढ़ी, हर वर्ग, हर परिस्थिति के लिए कोई-न-कोई प्रेरणीय बात कहते हैं। दर्शन की गुढ़ता को हाशमी जी का यह मुक्तक कितनी सरलता से समझा देता है। ” तू भलाई के भवन में वास करना छोड़ मत /ईश्वर पर तू कभी विश्वास करना छोड़ मत / लक्ष्य शुभ है तो तुझे निश्चित मिलेगा लक्ष्य / शर्त बस इतनी-सी है, प्रयास करना छोड़ मत। ”
एनर्जी टॉनिक है यह मुक्तक शतक
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि हाशमी जी की पुस्तक मुक्तक शतक के ये मुक्तक वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में या संगोष्ठियों में भाग लेने वालों के साथ-साथ पत्रकारों और संपादकों के लिए भी उपयोगी है। उन्होंने पुस्तक के आवरण पृष्ठ को आकर्षक बताते हुए संदर्भ प्रकाशन की भी सराहना की। डॉ चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि हाशमी जी की यह पुस्तक मुक्तक शतक’ हर पाठक को पसंद आएगी क्योंकि यह एनर्जी टॉनिक की तरह है।