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गुरु नींव और शिष्य उसकी ऊंचाई की छत: प्रो. अजहर हाशमी

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हरमुद्दा
रतलाम, 16 जुलाई। गुरु नींव है तो शिष्य उसकी ऊंचाई की छत है। जब तक नींव मजबूत नहीं होती है उसके शिष्य रूपी छत ऊंचे और मजबूत नहीं हो सकते हैं। गुरु को मजबूत होना जरूरी है, तभी तो उसके शिष्य ऊंचाई पा सकते हैं। गुरु नींव है तो शिष्य भी उसकी नींव में ईंट-पत्थर और गारे के समान हैं। जो नींव में समाता है, तभी गुरु और शिष्य ऊंचाई पाता है। गुरु अपने शिष्य रूपी छत को मजबूती प्रदान करते हैं।
यह बात ख्यात चिंतक, लेखक और कवि प्रो. अजहर हाशमी ने अपने निवास पर कही। वे महाविद्यालयीन विद्यार्थी परिवार की तरफ से गुरु पूर्णिमा के अवसर पर किए गए सम्मान के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।

सबसे पवित्र संबंध गुरु-शिष्य का
प्रो. हाशमी ने कहा कि गुरु और शिष्य का संबंध दुनिया का सबसे पवित्र संबंध होता है। इसमे किसी तरह का स्वार्थ का भाव नहीं होता है और न ही किसी तरह का दुर्भाव होता है। उन्होंने कहा कि प्रो. अजहर हाशमी की ख्याति के लिए सभी शिष्यों ने कई तरह से कुर्बानियां दी है।

शाल-श्रीफल से किया सम्मान
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर महाविद्यालयीन विद्यार्थी परिवार की तरफ से गुरु प्रो. अजहर हाशमी का शाल-श्रीफल और पुष्प माला से स्वागत किया गया। उन्हें तिलक लगाकर शाल ओढ़ाई गई। इस अवसर पर महाविद्यालयीन विद्यार्थी परिवार के संयोजक सतीश त्रिपाठी, तुषार कोठारी, हेमंत भट्ट, कमलसिंह, माधव सक्सेना, भरत गुप्ता, डॉ. प्रवीणा दवेसर, मनमोहन दवेसर, अदिति दवेसर, डॉ. श्वेता नागर, ओमप्रकाश नागर, सुलेखा नागर, प्रारब्ध त्रिपाठी आदि मौजूद थे।

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