धर्म संस्कृति : विश्व शांति दिवस के रूप में मनाई प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 55 वीं पुण्यतिथि
⚫ ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र में आयोजन
⚫ भाई बहनों द्वारा किया गया राजयोग अभ्यास
⚫ श्रेष्ठ कर्मों के कीर्तन से वेद उपनिषद भरे : सविता दीदी
हरमुद्दा
रतलाम, 18 जनवरी। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय डोंगरे नगर से स्थित दिव्य दर्शन भवन सेवा केंद्र पर 18 जनवरी को ब्रह्माकुमारी संस्था के संस्थापक पिता श्री ब्रह्मा बाबा की 55वीं पुण्यतिथि को विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया। सभी भाई बहनों द्वारा राजयोग के अभ्यास के द्वारा समग्र विश्व में शांति का प्रकम्पन्न फैलाया गया।
सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने ब्रह्मा बाबा की विशेषताओं से सभी को अवगत कराते हुए कहा कि इस विश्व रंगमंच पर समय-समय पर अनेक विभूतियों का आगमन होता है और उसमें से कुछ महान लोगों का जीवन इस तरह यादगार बन जाता है जिनका स्मरण गायन युगों युगों दिग दिगांतर तक होता रहता है, जिनके श्रेष्ठ कर्मों के कीर्तन से वेद उपनिषद भरे होते हैं जिनके उपकारों से मानवता हजारों वर्षों तक उपकृत होती रहती है जिनके दर्शन स्पर्श और वाणी की गूंज के एहसास तक को मानव मात्र अपने हृदय की तिजोरी में आज जन्म तक संजोकर रखता है।
अचूक परख शक्ति के बल पर वह एक साधारण व्यक्तित्व से हीरो के बने बड़े सुप्रसिद्ध व्यापारी
यह धरती भी जिनके जन्म से स्वयं को धन्य धन्य महसूस करती है। 1876 में इस पुण्य सलिला भारत भूमि के सिंध प्रांत (वर्तमान में पाकिस्तान) में एक ऐसी ही दिव्य आत्मा ने जन्म लिया जिन्हें दादा लेखराज कृपलानी के नाम से जाना जाता था। अपने कुशाग्र बुद्धि, दृण निश्चय, साहस, कर्मठ तथा उदारता एवं अचूक परख शक्ति के बल पर वह एक साधारण व्यक्तित्व से हीरो के बड़े सुप्रसिद्ध व्यापारी बने। जिन्हें उस समय खिदरपुर का नवाब कहा जाता था नैतिकता के साथ धार्मिक निष्ठा की चरम सीमा का अद्भुत सामंजस्य आपके व्यक्तित्व का सबसे दुर्लभ गुण था।
सृष्टि परिवर्तन के कार्य के लिए परमात्मा ने दादा लेखराज को बनाया निमित्त
जब संसार विकारों के विकराल अग्नि में जल रहा था। विश्व में एक दूसरे का विनाश करने के लिए गुप्त रूप से विध्वंशक अस्त्र-शस्त्र तैयार किया जा रहा था, ऐसे समय पर मानवता दुःख अशांति से सब त्राहि त्राहि कर रहे थे। ऐसे समय पर परमात्मा ने इस सृष्टि पर अपना माध्यम ढूंढने के लिए नजर दौड़ाई तो उनकी पारखी नजर भी रत्नों के इस अमूल्य पारखी पर आकर ठहर गई और अपने सृष्टि परिवर्तन के कार्य के लिए परमात्मा ने दादा लेखराज को निमित्त बनाया।
दिव्यता संपन्न जीवन बनाने का संदेश लाता समग्र मानव जाति के लिए
आपने आगे बताया कि प्रतिवर्ष 18 जनवरी को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा ब्रह्मा बाबा के स्मृति दिवस को “विश्व शांति दिवस” मनाया जाता है। 18 जनवरी 1969 को पिताश्री ब्रह्मा बाबा ने संपूर्ण अवस्था को प्राप्त कर पार्थिव देह का त्याग किया था, इसलिए यह दिवस समग्र मानव जाति के लिए दिव्यता संपन्न जीवन बनाने का संदेश लेकर आता है। सभी भाई बहनों द्वारा ब्रह्मा बाबा की शांति स्तंभ की परिक्रमा कर ब्रह्मा बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। परमात्मा को भोग स्वीकार कराया गया।