बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी-एमके3 से लॉन्च हुआ “चन्द्रयान-2” पड़ताल करेगा चांद पर और है क्या-क्या
दिल्ली, 22 जुलाई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का दूसरा मून मिशन चन्द्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया है। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी-एमके3 से लॉन्च किया गया। अब चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है। करीब 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 182 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा। चंद्रयान-2 चांद पर भूकंप, आद्रता, चांद की सतह और उप सतह के कितने भाग पर पानी है। यह पड़ताल करेगा।उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। इसके बाद 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा। 19 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद 13 दिन यानी 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेेेगा।
चंद्रयान 2 के चांद पर प्रवेश के संबंध में देखिए कुछ रोचक दृश्य
चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग
5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा।
चांद पर जाने के समय में की गई 6 दिन की कटौती
यदि 15 जुलाई को चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च होता तो वह 6 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करता, लेकिन सोमवार की लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-2 को चांद पर पहुंचने में 48 दिन ही लगेंगे। यानी चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को ही पहुंचेगा। इसरो वैज्ञानिक इसके लिए चंद्रयान-2 को पृथ्वी के चारों तरफ लगने वाले चक्कर में कटौती होगी। संभवतः अब चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ 5 के बजाय 4 चक्कर ही लगाए।
वेलोसिटी में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा
चंद्रयान-2 सोमवार यानी 22 जुलाई को लॉन्च होने के बाद अब चांद की ओर ज्यादा तेजी से जाएगा। अब अंतरिक्ष में इसकी गति 10305.78 मीटर प्रति सेकंड होगी। जबकि, 15 जुलाई को लॉन्च होता तो यह 10,304.66 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की तरफ जाता। यानी इसकी गति में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा किया गया है।
चांद पर इसरो का चंद्रयान-2 ऐसा क्या खोजेगा
चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम जहां उतरेगा उसी जगह पर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते है या नहीं। वहां थर्मल और लूनर डेनसिटी कितनी है। रोवर चांद के सतह की रासायनिक जांच करेगा। तापमान और वातावरण में आद्रता है कि नहीं। चंद्रमा की सतह पर पानी होने के सबूत तो चंद्रयान 1 ने खोज लिए थे लेकिन चंद्रयान 2 से यह पता लगाया जा सकेगा कि चांद की सतह और उपसतह के कितने भाग में पानी है।