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साहित्य सरोकार : समय के सच को बड़े कैनवास पर लाती है कहानी

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साहित्यकार प्रोफेसर रतन चौहान ने कहा

जनवादी लेखक संघ की गोष्ठी में आशीष दशोत्तर का कहानी पाठ आयोजित

हरमुद्दा
रतलाम, 9 अप्रैल। युवा कथाकार आशीष दशोत्तर की कहानी समय के सच को बड़े कैनवास पर लाती है । न सिर्फ़ शिक्षा जगत बल्कि समाज के हर क्षेत्र में आज के दौर ने व्यापक परिवर्तन किए हैं । पूंजी का प्रभाव जब से जीवन में शामिल हुआ है , मनुष्य की प्रवृत्तियां बदल गई हैं । इसी प्रवृत्ति को आशीष की कहानी उजागर करती है ।

साहित्यकार आशीष दशोत्तर जिनकी कहानी “नेमप्लेट” का पाठ हुआ

यह विचार जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा आयोजित कथा गोष्ठी में वरिष्ठ अनुवादक प्रो. रतन चौहान ने व्यक्त किए। कथाकार आशीष दशोत्तर ने गोष्ठी में अपनी लंबी कहानी “नेमप्लेट” का पाठ किया । यह कहानी मनुष्य के पद, प्रतिष्ठा और प्रभाव के कारण बदलती प्रवृत्तियों को लेकर है । इस कहानी में मुख्य पात्र अपनी नेमप्लेट से इतना प्रभावित होता है कि वह अपने किरदार को भी इसके पीछे रख देता है। अपने घर परिवार को भी अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ता है । इस तरह वह कूपमण्डूक हो जाता है।

समाज के हर क्षेत्र का हुआ है पतन : सिद्दीक रतलाम

कहानी पर अपनी राय रखते हुए सिद्दीक रतलामी ने कहा कि समाज के हर क्षेत्र में पतन हुआ है । यह कहानी उसी की ओर इशारा करती है । इस कहानी में जो चरित्र उभर कर सामने आए हैं वे सिर्फ़ चरित्र ही नहीं हैं बल्कि उसके ज़रिए कई इशारे भी दिए गए हैं । यह कहानी विसंगतियों के समय में हमारे मूल्यों को स्थापित करने का संदेश देती कहानी है। कवि पद्माकर पागे ने कहा कि कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है इसकी रोचकता बढ़ती जाती है । इस कहानी में कहीं भी यह नहीं महसूस होता कि विषय भटक रहा है । कीर्ति शर्मा ने समकालीन कहानीकारों में आशीष दशोत्तर की कहानी को महत्वपूर्ण निरूपित किया।

इन्होंने भी की व्यक्त अपनी राय

गोष्ठी में जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर, मांगीलाल नगावत ,गीता राठौर सहित उपस्थितजनों ने भी अपनी राय व्यक्त की। अंत में आभार प्रदर्शन जितेंद्र सिंह पथिक ने व्यक्त किया।

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