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मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण आदेश : प्रमुख सचिव व सहायक आयुक्त आदिवासी विकास अवमानना के दोषी

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अधिकारियों को दंडित करने के प्रश्न पर में मांगा जवाब

मामला अनुकंपा नियुक्ति का

आदेश के बावजूद प्रस्तुत नहीं की अधिकारियो ने कम्पलाईंस रिपोर्ट

हरमुद्दा
रतलाम,05 मई। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने बाजना जिला रतलाम की बालिका दीप्ति सोलंकी व यशविनी सोलंकी की अवमानना याचिका क्रमांक 291/2024 में प्रमुख सचिव व सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को अवमानना का दोषी माना है। अधिकारियों को क्यो न इस मामले में दण्डित किया जाए, इस संबंध में दण्ड के प्रश्न पर जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए है।

अभिभाषक प्रवीण कुमार भट्ट ने बताया कि बालिका दीप्ति सोलंकी व यशविनी सोलंकी की याचिका में वर्ष 2018 तथा दिनांक 06-09-2023 को पारित आदेश के तहत कार्रवाई का आग्रह किया गया था। दोनो बालिकाओं ने माता सरोज की हत्या पिता द्वारा कर दिए जाने एवं पिता की कारावास में मृत्यु हो जाने पर दीप्ति सोलंकी को शैक्षणिक योग्यता अनुसार रिक्त पद पर अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने की मांग की थी , क्योंकि उसकी माता सरोज की 1998 में शिक्षाकर्मी के रूप में नियुक्त हुई थी।  वर्ष 2007 में अध्यापक संवर्ग में संविलियन किया गया था। माता की मृत्यु के उपरांत याचिका क्रमाकं 7834/2019 में उसके समस्त सेवा संबंधी मरणोपरांत लाभों का भुगतान किए जाने के आदेश दिए गए थे।

अधिकारियो ने प्रस्तुत नहीं की कम्पलाईंस रिपोर्ट

उपरोक्त समान आदेश पूर्व में याचिका क्रमाक 5316/2017 में दिनांक 21-02-2018 को भी पारित हुए थे, इसलिए याचिका क्रमाक 7834/2019 में 06-09-2023 को अंतिम आदेश में याचिका को अंतिम रूप से निराकृत न करते हुए मध्यप्रदेश शासन को उपरोक्त आदेश का पालन करने के लिए 03 माह का समय देकर याचिका को दिनांक 06 नवम्बर 2023 को नियत कर कम्पलाईस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिये थे, परंतु अधिकारियो ने कम्पलाईंस रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की।

व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने के लिए थे आदेश

07 नवंबर 2023 को आदेश का पालन किए बिना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिसमे केबिनेट को प्रस्ताव भेजने की बात कही। अधिकारियो ने केबिनेट के आदेश मिलने पर कार्रवाई करना बताया था, जिस पर न्यायालय ने आदिवासी विकास विभाग के आयुक्त को विडियो कांन्फेसी के माध्यम से एवं सहायक आयुक्त को उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहने के आदेश दिये थे।  दिनांक 24 अप्रैल 2024 को आदेश का पालन न होने पर फिर 01 मई 2024 को प्रमुख सचिव आदिवासी विकास विभाग विडियो कांन्फेंसी के माध्यम से तथा सहायक आयुक्त आदिवासी विकास रतलाम जिला रतलाम को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित रहने के आदेश दिये थे।

अधिकारियों को दिया दोषी करार

01 मई 2024 को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति  विवेक रूसिया के समक्ष प्रमुख सचिव आदिवासी विकास ई. रमेश कुमार तथा रंजना सिंह सहायक आयुक्त उपस्थित हुए। अधिकारी द्वय ने कम्प्लायंस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के संबंध में फिर मंत्रीपरिषद् के समक्ष मामला प्रस्तुत करने का आधार बताते हुए कम्प्लायंस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समय की मांग की, जिसे दरकिनार करते हुए उपरोक्त द्वय अधिकारियों को अवमानना का दोषी करार दिया गया। प्रकरण में याचिकाकर्ता की पैरवी अभिभाषक प्रवीण कुमार भट्ट ने की।

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