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धर्म संस्कृति : गूंजा रतलाम के नंदन..कोटि कोटि वंदन, एक झलक पाने के लिए उत्साहित रहे लोग

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नूतन मुनिराज का घर और प्रतिष्ठानों पर गहुली सजाकर अक्षत से अभूतपूर्व वधामणा

जब सहपाठी मित्र ले गए अपने निवास पर पगलिये करने के लिए,  तब उनकी बचपन की यांदे हो गई ताज़ा

⚫ रतलाम से बदनावर के लिए किया प्रथम विहार

विदाई देते समय आंखे भर आई

तीन वर्षो की प्रतीक्षा पूर्ण हुई

हरमुद्दा
रतलाम, 14 जून। नूतन मुनिराज श्री सिद्धर्षिचन्द्रसागर जी म.सा. ने शुक्रवार तड़के रतलाम से बदनावर के लिए प्रथम विहार किया । श्रीसंघ और परिजनों ने उन्हें करमचंद उपाश्रय से भावभीनी विदाई दी। वही गुरुवार शाम उनका शहर के प्रमुख व्यवसायिक और आवासीय क्षेत्रों में समाजजनों ने उत्सवी वातावरण में वधामणा  किया। उनकी एक झलक पाने के लिए लोग उत्साहित रहे।

गुरुवार शाम वे आचार्य श्री बंधु बेलड़ी प्रशिष्यरत्न गणिवर्य श्री पदम-आनंदचन्द्रसागर जी म.सा. एवं साध्वी श्री रत्नरिद्धीश्रीजी म.सा. की निश्रा पहली बार काटजू नगर से विहार कर प्रथम बार करमचंद उपाश्रय हनुमान रूंडी पहुँचे । इस दौरान बड़ी संख्या में समाजजन उनके साथ पैदल विहार करते हुए जयकारे लगा रहे थे । रतलाम में नूतन मुनिराज के स्कूली शिक्षा के दौरान सहपाठी रहे मित्रों आदि ने उन्हें अपने निवास पर पगलिये करने के लिए लेकर गए तब उनकी बचपन की यांदे ताज़ा हो गई।

गूंजा रतलाम के नंदन..कोटि कोटि वंदन

सैलाना बस स्टेंड, शहर सराय, धानमंडी, चौमुखीपुल क्षेत्र में समाजजनों ने उनका अपने घर और प्रतिष्ठान पर गहुली सजाकर अक्षत से वधामणा किया । नूतन मुनिराज के दर्शन और वंदन के लिए समाजजनों में भारी उत्साह रहा । उन्होंने ‘रतलाम के नंदन..कोटि कोटि वंदन..’ के जयघोष से अगवानी की । व्यवसायिक क्षेत्रों में नूतन मुनिराज के अपने निवास और प्रतिष्ठान पर पगलिये करवाने के लिए मार्ग में जगह जगह  समाजजन विनती करते नजर आये । गणिवर्य श्री की निश्रा में नूतन मुनिराज ने मार्ग में जिनालय में प्रभु के प्रथम दर्शन किये । काटजू नगर में सांसरिक बहन लब्धि तिलक- मणिलाल सिसोदिया के निवास पर भी पधारे। हनुमान रूंडी क्षेत्र में अरिहंत बोराणा के निवास पर व्याख्यान हुए। करमचंद उपाश्रय पर श्रीसंघ ने उन्हें वधाया।

विदाई देते समय आंखे भर आई

रतलाम में आयोजित 12 दिवसीय दीक्षा महोत्सव के बाद गुरुवार को नूतन मुनिराज का अपने सांसारिक निवास पर काटजू नगर पर प्रथम मंगल पदार्पण हुआ था। दोपहर में मृदुल धाम काटजू नगर और शाम को करमचंद उपाश्रय हनुमान रूंडी पर स्थिरता के बाद शुकवार सुबह बदनावर के लिए प्रथम विहार किया । उनके सांसारिक माता – पिता के साथ परिजनों की उन्हें रतलाम से विदाई देते समय आंखे भर आई। श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ एवं जीव मैत्री परिवार आदि ने भावभीनी विदाई दी ।

तीन वर्षो की प्रतीक्षा पूर्ण हुई

उनके पिता प्रवीण और माता कविता पालरेचा ने बताया कि विगत तीन चार वर्षो से उनके पुत्र का ‘संयम’ का संयम जीवन स्वीकार करने का मनोरथ परमात्मा की कृपा से पूर्ण हुआ। दीक्षा महोत्सव को सफल बनाने में सहयोग करने वाले सभी श्रीसंघ, संगठन, समाजजन, प्रशासन और शहरवासियों का उन्होंने आभार व्यक्त किया है । 

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