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हाल-हकीकत : अमृत सागर की आकर्षक विद्युत सज्जा को लगा ग्रहण, एक करोड़ 2 लाख में से 7 लाख 65000 की ही लाइट चालू

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श्रावण की शुरुआत के पहले हुआ था शुभारंभ

एक करोड़ 2 लाख की लगाई है 200 लाइट

प्राचीन श्री गढ़ कैलाश मंदिर तरफ की सभी लाइटें बंद

अमृत सागर की दूसरी तरफ केवल 15 लाइट चालू

तीसरे सोमवार को दर्शनार्थी नहीं देख पाए बिजली के रंग बिखेरती छटा को

⚫ हेमंत भट्ट
रतलाम, 5 अगस्त। अमृत सागर झील संरक्षण एवं प्रबंधन योजना के तहत तालाब के दो किनारों पर आकर्षक सुसज्जित लाइट का शुभारंभ 20 जुलाई को किया गया था। 15 दिन बाद हाल हकीकत यह है कि एक करोड़ 2 लाख की लगाई गई 200 लाइटों में से केवल 15 लाइट ही चालू स्थिति में मिली है। जिनकी कीमत 7 लाख 65000 होती है। यानी की 94 लाख 35000 की लाइट बंद है। यह अमृत सागर का सौंदर्य बढ़ाने में अपनी छटा इस प्रकार बिखेर रही है। श्रावण के तीसरे सोमवार को ही दर्शनार्थी बिजली की छटा बिखेरने वाले आकर्षक दृश्य को नहीं देख पाए। प्राचीन श्री गढ़ कैलाश मंदिर तालाब के किनारों की सभी लाइटें बंद नजर आई।

नगर निगम रतलाम में भ्रष्टाचार की भांग तो इस तरह घुली हुई है कि उसके नशे में किसी को भी कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। कोई देखने वाला नहीं है कि आखिर लाइट बंद क्यों है? श्रावण शुरू होने के पहले 20 जुलाई को समारोह पूर्वक आकर्षक रोशनी बिखेरने वाली लाइट चली।

20 जुलाई को यह नजारा था अमृत सागर का
5 अगस्त को प्राचीन श्री गढ़ कैलाश मार्ग पर जाने वाले तालाब के किनारे की लाइट बंद

दिन बढ़ते गए लाइट बंद होती गई

जैसे-जैसे दिन बढ़ते गए वैसे-वैसे खभों की लिए भी बंद होती गई। श्रावण के तीसरे सोमवार पर तो तालाब के दोनों किनारो की लाइटें बंद नजर आई। लाइट चल रही थी तो केवल अमृत सागर उद्यान के यहां पर वह भी गिनती की 15 लाइट है। हरमुद्दा डॉट कॉम ने यह स्थिति 8:40 पर देखी।

मोतीनगर तरफ की सभी लाइटें बन्द

उस दौरान थे यह सभी मौजूद

शुभारंभ समारोह में महापौर के अलावा नगर निगम अध्यक्ष मनीषा शर्मा, विद्युत एवं यांत्रिकी समिति के प्रभारी अक्षय संघवी, क्षेत्रीय पार्षद विशाल शर्मा सहित कई समाज सेवी मौजूद थे।

एक खंभे पर लाइट लगाने का खर्चा 51 हजार

गोले में बंद लाइट

श्रावण के तीसरे सोमवार पर शहर के हजारों श्रद्धालु रात को प्राचीन श्री गढ़ कैलाश मंदिर पर दर्शन करने के लिए पहुंचे मगर नगर निगम द्वारा अमृत सागर झील संरक्षण एवं प्रबंधन योजना के तहत लगाई गई रोशनी बिखेरती लाइटों को देखने से वंचित रह गए। कई महिला, पुरुष और बच्चे बातें करते हुए सुने गए कि पेपर में तो फोटो आए थे की जगमग रोशनी अमृत सागर पर शुरू हुई है लेकिन यहां तो अंधेरा पसरा है। तो छोटे बच्चे ही कहने लगे नगर निगम कहां ध्यान देती है? करोड़ों खर्च करने के बाद भी उसका लाभ आमजन को कहां मिलता है? जो भी जिम्मेदार रहते हैं, वह सब कमीशन बाजी में डकार जाते हैं। बच्चे गुणा भाग करते हुए यह भी बता रहे थे कि मम्मी एक लाइट का ₹ 51000 की लगी है। जिज्ञासा में बच्चे यह भी पूछते नजर आए सही में मम्मी इतने रुपए की आती है यह लाइटें?

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