हिंदी दिवस विशेष : हिंदी हमारी सबसे न्यारी
⚫ हिंदी हमारी सबसे न्यारी,
ज्ञान-विज्ञान की ज्ञाता है।
भावों के हर रुप के सब
आखर-आखर से परिचित कराती है। ⚫
⚫ डॉ. नीलम कौर
हिंदी हमारी सबसे न्यारी,
ज्ञान-विज्ञान की ज्ञाता है।
भावों के हर रुप के सब
आखर-आखर से परिचित कराती है।
संस्कृत गर्भ से निकल,
रुप अपना बनाया है।
हर भाषा के उन्नत शब्द
को,अपने अंक लगाया है।
वेदों के मंत्रों से मंत्रित,
सूक्तियों से सिक्त है ये।
उपनिषदों के श्लोकों से,
उच्चतम शिखर इसने पाया है।
साधु-संतों की वाणी में
मुखरित,देववाणी बनी।
साहित्य के पटल पर,
इसने नानारुप हैं धरे।
छंद-अलंकारों की रंगोली
,वर्ण-मात्रा के बंदनवार।
कहीं बंधनों के मुक्ताहार,
कहीं मुक्त रह करती अपने को अभिव्यक्त।
कविता की निर्झरिणी,
गीतों की बन सरिता बही
।सरोवर कथा-कहानियाँ,
उपन्यास महासमुन्द्र बने।
कहीं जुगनू से हाइकु,
माहिया,कहीं सेदोका,
चोका।टापू-से वर्ण पिरामिड,आदि मिलकर
हिंदी को परिपुष्ट करें।
⚫ डॉ. नीलम कौर