कार्यशाला: जन्म के साथ ही बच्चों को तत्काल स्तनपान कराना बहुत जरूरी: सुनीता यादव
हरमुद्दा
रतलाम, 3 अगस्त। विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान आमजन में जागरूकता फैलाने के लिए शनिवार को मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनीता यादव ने कहा कि स्तनपान बच्चों के लिए अमृततुल्य है। जन्म के साथ ही बच्चों को तत्काल स्तनपान कराना लाभदायक है। इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
स्तनपान कराने वाली माताओं को भी विभिन्न बीमारियों से बचाव होता है। स्तनपान के लिए प्रसवपूर्व की जाने वाली तैयारियों, परिवार एवं समाज को लाभ आदि के बारे में विस्तार से बताया।
मां का दूध पीया है तो आज मैदान में
जिला कार्यक्रम अधिकारी यादव ने मीडिया प्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि अपने संस्थानों के माध्यम से आम लोगों में स्तनपान के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करें। इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करें। प्रसव के तुरंत बाद मां का पहला पीला गाढ़ा दूध (कोलेस्ट्रम) बच्चे को अवश्य पिलाएं। जन्म से 6 माह तक के बच्चों को सिर्फ मां का दूध देना चाहिए।। कहते भी है कि मां का दूध पीया है तो आज मैदान में।
दूध पिलाने वाली मां का शारीरिक सौंदर्य भी बेहतर
इसके अलावा कोई भी तरल पदार्थ यहां तक के पानी भी नहीं देना चाहिए। 6 माह के बाद मां के दूध के साथ ही पूरक आहार भी शुरू करना चाहिए। हर मां अपने बच्चों को स्तनपान करा सकती है। स्तनपान से शिशु का शारीरिक एवं मानसिक विकास अच्छा होता है। वहीं दूध पिलाने वाली मां का शारीरिक सौंदर्य भी बेहतर होता है। स्तनपान के बाद ही फिगर ज्यादा मेंटेन होता है।
स्तनपान बच्चों के लिए सबसे बड़ा टीका
उन्होंने कहा कि विश्व में प्रत्येक माता अपने बच्चों को स्तनपान कराती तो है, किन्तु इसके प्रति कई भ्रांतियां भी फैली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्तनपान के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व स्तनपान सप्ताह 01 अगस्त से 07 अगस्त तक मनाया जाता है। कई सारी माताएं भ्रांतियों के कारण बच्चों को स्तनपान नहीं कराती हैं। बच्चों को मिल्क पाऊडर आदि देती हैं। स्तनपान नहीं कराने से बच्चों को कई बीमारियां हो सकती हैं। स्तनपान बच्चों के लिए सबसे बड़ा टीका है। बच्चे के जन्म के साथ ही कराया गया स्तनपान बच्चों में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति आ जाती है। बच्चों को 6 माह के बाद ही ऊपरी आहार देना उचित है। बच्चों को जन्मघूटी या ग्राईफ वाटर जैसे हानिकारक नहीं पिलाना चाहिए। इस अवसर पर पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब भी दिए गए।
इन्होंने भी दी जानकारी
कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के जिला मीडिया अधिकारी आशीष चौरसिया, सहायक संचालक अंकिता पंड्या, संभागीय पोषण समन्वयक आशीष पुरोहित ने भी जवाब दिए।
यह थे मौजूद
कार्यशाला में स्वच्छ भारत प्रेरक भावना अरोरा, महिला एवं बाल विकास विभाग रतलाम की पर्यवेक्षक प्रेरणा तोगड़े, एहतेशाम अंसारी, स्वास्थ्य विभाग की डिप्टी मीडिया अधिकारी सरला कुरील मौजूद थीं।