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चन्द्रयान – 2: विक्रम लैंडर ने मंगलवार को सफलतापूर्वक उल्टी दिशा में चलना किया शुरू

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दिल्ली, 3 सितंबर। चंद्रयान के आर्बिटर से लैंडर विक्रम के सफलतापूर्वक अलग होने के बाद मंगलवार एक और अहम पड़ाव पार कर लिया है। विक्रम लैंडर ने मंगलवार को सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर सफलतापूर्वक उल्टी दिशा में चलना शुरू कर दिया है। सोमवार को चंद्रयान-2 से अलग होने के बाद लगभग 20 घंटे से विक्रम लैंडर अपने ऑर्बिटर की कक्षा में ही चक्कर लगा रहा था। लेकिन अब यह ऑर्बिटर से उल्टी दिशा में चल दिया है। इसे ही डिऑर्बिट कहते हैं। अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से पहले विक्रम लैंडर लगभग 2 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से चांद के चारों ओर चक्कर लगाएगा।

तीन हिस्सों में बना है चंद्रयान

उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 तीन हिस्सों में बना है। पहले आर्बिटर, दूसरा विक्रम लैंडर और फिर तीसरा प्रज्ञान रोवर है। विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर मौजूद है, ये लैंडिग के बाद बाहर आएगा।

कल फिर बदलेगी कक्षा

चार सितंबर की शाम को इसकी कक्षा एक बार फिर बदली जाएगी। चांर सितंबर को ही विक्रम लैंडर चांद के सबसे करीब होगा। इसके बाद 6 सितंबर तक विक्रम लैंडर के सभी सिस्टम की जांच की जाएगी। इसके साथ ही प्रज्ञान रोवर की भी जांच की जाएगी।

सात सितंबर का दिन काफी महत्वपूर्ण

अब सात सितंबर का दिन काफी महत्वपूर्ण है। उस दिन लैंडर विक्रम सुबह करीब 1.55 बजे चंद्रमा की सतह पर लैंड कर जाएगा। इसी दिन प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चलना शुरू करेगा। वह एक सेंटीमीटर प्रति सैकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा।

बेहद उत्साहित है इसरो

विक्रम लैंडर द्वारा सोमवार को चंद्रमा की गोलाकार कक्षा में दोपहर 1.15 बजे आर्बिटर से अलग होने के तुरंत बाद, इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने मीडिया को बताया कि इस सफल ऑपरेशन के बाद इसरो में लोग बहुत उत्साहित और आनंद ले रहे हैं। वे बड़े दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ‘उन्होंने कहा कि लैंडर और रोवर दोनों एक ही 119 किमी x 127 किमी कक्षा में 0.8 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से एक साथ आगे बढ़ रहे हैं और दोनों के बीच की दूरी बढ़ने जा रही है।

ब्रह्मांड के बारे में जानने की जिज्ञासा

राष्ट्रीय एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के पूर्व अंतरिक्ष यात्री डोनाल्ड ए थॉमस, जो वर्तमान में भारत का दौरा कर रहे हैं, उन्होंने कहा, चंद्रयान -2 दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान होगा और यहीं से नासा को अंतरिक्ष यात्री के बारे में पांच साल में उतरने की उम्मीद है। सिर्फ नासा ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया चंद्रयान -2 का अनुसरण करके चंद्रमा और ब्रह्मांड के बारे में जानने में रुचि रखती है।

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