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भारत और जापान दो मुल्क दो व्यवस्था और दो निजाम जिनमे बहुत बातें अलग

भारत और जापान दो मुल्क दो व्यवस्था और दो निजाम जिनमे बहुत बातें अलग है। भारत में लोग धर्म को मानते हैं समझते नहीं जबकि जापान में धर्म मानते कम है लेकिन समझते ज्यादा है ।भारतीय अधिकतम निरंकुश और आलसी है जबकि जापानी अधिकांश नियंत्रित और आत्म प्रेरित क्रियाशील है। भारतीय देश के गान में विश्वास रखते हैं, लेकिन आन में नहीं। जापानी गान और आन दोनों के लिए प्रतिबद्ध है।

देश के प्रति उत्तरदायी नहीं नेता

भारत में नेता देश के प्रति उत्तरदायी नहीं जबकि जापानी नेता राजनीति में धंधा नहीं करता। भारतीयों का अपना घर देश से बड़ा होता है, जबकि जापानी अपने देश को घर से बड़ा मानते हैं। भारत में मजदूर नेता कारखाने को ही खा जाते हैं जबकि जापान में मजदूर नेता कारखाने को कभी नुकसान नहीं पहुंचाते। भारत में मुफ्त का मिले तो कोई काम करना पसंद नहीं करता जबकि जापान में एक साल से ज्यादा सरकारी राहत नहीं मिलती।

जापान में नहीं मिलते भिखारी

भारत में धर्म स्थल भिखारियों से भरे पड़े हैं और जापान में भिखारी कही नहीं मिलते। भारत में सड़क और सरकारी सम्पत्ति लावारिस है जबकि जापानी इसे जान से ज्यादा अज़ीज़ मानकर रक्षा करते हैं। भारतीय अतिक्रमण पर उतारू हो तो बीच सड़क पर मकान बना ले, लेकिन जापानी सड़क पर कभी कब्ज़ा नहीं करते। भारत में साफ़ सड़के नहीं दिखती और जापान में गन्दी सड़कें नहीं दिखती। जापान में एक भी स्लम नहीं है। भारत में लाखों स्लम है। भारत में करोड़पति कभी साइकिल नहीं चलाता, जबकि जापान में छोटे बड़े सभी साइकिल चलाते हैं।

जापान में अपमान माना जाता करप्शन

भारत में करप्शन का कोई हिसाब नहीं, जापान में करप्शन अपमान माना जाता है।भारत में हर गलत काम का संरक्षक नेता है। जापान में कानून सबसे बड़ा है। भारत में मोरल 20 प्रतिशत है। जापान में 99 प्रतिशत। भारत अपने ही लोगों के कारण बदनाम है जबकि जापान अपने लोगों की तहजीब के कारण दुनिया में सम्मान से देखा जाता है। यही कारण है कि जापान चमकता देश है और भारत अँधेरे में डूबा पड़ा है।

◼ विचार: त्रिभुवनेश भारद्वाज

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