जावरा एसडीओ के घूसखोर स्टेनो को 4 वर्ष का सश्रम कारावास, चुनाव याचिका पक्ष में कराने के लिए सरपंच से लिए थे ₹15000, सहआरोपी भाई बरी

हरमुद्दा
रतलाम, 5 सितंबर। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश राजेंद्र कुमार दक्षिणी ने 9 वर्ष पुराने रिश्वतखोरी के प्रकरण में जावरा एसडीओ के स्टेनो रहे छबलदास लालवानी को दोषी करार दिया है। उसे ₹15000 की रिश्वत लेने के आरोप में 4 वर्ष के सश्रम कारावास और ₹7000 के अर्थदंड से दंडित किया गया है। अर्थदंड नहीं भरने पर आरोपी को 2 माह का सश्रम कारावास अतिरिक्त भुगतना पड़ेगा।

उपसंचालक अभियोजन एसके जैन ने बताया कि लोकायुक्त पुलिस उज्जैन के दल ने आरोपी छबलदास पिता टेकचंदानी लालवानी, उम्र 52 वर्ष,निवासी जवाहर नगर जावरा (रतलाम) को उसके भाई लक्ष्मणदास पिता टेकचंद लालवानी उम्र 65 वर्ष की किराना की दुकान पर 12 अगस्त 2010 को तत्कालीन सरपंच दरबारसिंह से ₹15000 रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपी ने ग्राम पंचायत रेवास के सरपंच दरबारसिंह से चुनाव संबंधी याचिका का निराकरण पक्ष में कराने के नाम पर ₹25000 की रिश्वत मांगी थी। बाद में वह ₹15000 रुपए लेने पर सहमत हो गया था। सरपंच दरबारसिंह ने इसकी शिकायत लोकायुक्त एसपी उज्जैन को की थी, जिस पर पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से जावरा आकर आरोपी छबलदास और उसके भाई लक्ष्मणदास को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपी छबलदास ने रिश्वत के रुपए सरपंच से लेकर अपने भाई को दे दिए थे। दोनों आरोपियों के विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस ने अनुसंधान के बाद में न्यायालय में चालान पेश किया।

51 पृष्ठीय फैसले में आरोपी को किया दंडित

न्यायालय ने मामले की लंबी सुनवाई पश्चात गुरुवार को 51 पृष्ठीय फैसले ने आरोपी छबलदास को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (एक)(घ) सहपठित धारा 13( 2) के तहत दोषी मानते हुए दंडित किया। सहआरोपी लक्ष्मणदास को आरोप प्रमाणित नहीं होने से बरी कर दिया गया। प्रकरण में अभियोजन पक्ष की पैरवी उपसंचालक एसके जैन ने की। बरी किए गए आरोपी लक्ष्मणदास की पैरवी अभिभाषक अमीन खान द्वारा की गई।

सजा सुनते ही सीना पकड़कर रोने लगा आरोपी

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायालय में आरोपी छबलदास को सजा सुनाए जाने के बाद काफी देर तक फैमेली ड्रामा हुआ। आरोपी सजा सुनते ही सीने पर हाथ रखकर रोने लगा । उसे स्टाफ और अधिवक्ताओं ने संभाला। बाद में उसकी पत्नी मौके पर पहुंची और रोते हुए न्यायाधीश को अपना भाई बताने लगी। उसने कहा कि रात में न्यायाधीश उसके सपने में भी आए थे। उसने तब भी आरोपी को छोड़ने की विनती की थी। वह उन्हें अपना भाई मानती है और राखी भी साथ लेकर आई है। न्यायालय ने फैसला हो जाने का हवाला देते हुए सबको बाहर कर दिया।

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