इतिहास में बारिश : तब कहते थे “धाप” गया रतलाम

🔳  आशीष दशोत्तर

रतलाम। भारी बारिश के इस दौर में जब हर कोई यह दुआ कर रहा है कि कुछ दिनों के लिए तो सूरज के लगातार दीदार हो, यह जानना रूचिकर होगा कि बारिश के मामले में हमारा यह क्षेत्र काफी संपन्न रहा है। अभी हो रही लगातार बारिश को देखते हुए लोगों को वर्ष 2006 में हुई 80 इंच वर्षा की याद आ रही है और लोग यह मान रहे हैं कि इस बार भी कहीं आंकड़ा 80 इंच को ना छू ले।

मगर हमें यह जानकर आश्चर्य और हर्ष भी होगा कि मालवा का ह्रदय क्षेत्र यानी रतलाम वर्षा को लेकर सुखद स्थिति में ही रहा है। कभी कम और कभी ज्यादा वर्षा को देखने वाला यह क्षेत्र अमूमन सामान्य वर्षा के आंकड़े को छू ही लेता है।

निपटने के लिए प्रयास भी 

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ऐसे में इतिहास की बारिश को जानना रुचिकर होगा। रतलाम रियासत काल के दौरान भी वर्षाजल के लिए कभी जतन किए जाते रहे तो कभी कम वर्षा के बाद उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए प्रयास भी । रतलाम की तब की औसत सामान्य बारिश 27 इंच मानी जाती थी। इसमें भी वर्षाकाल के माहों का हिसाब रखा जाता था। जून माह में 4 इंच, जुलाई माह में 13 इंच, अगस्त माह में 9 इंच और शेष महीनों में एक इंच बारिश अगर होती थी तो यह कहा जाता था कि रतलाम ‘धाप “गया है। यानी पर्याप्त वर्षा हो चुकी है।

सर्वाधिक बारिश 53.27 इंच, वर्ष 1875 में दर्ज

इस साल भारी बारिश के बीच यह जानकर हमें शायद आश्चर्य हो कि इतिहास में रतलाम में सर्वाधिक बारिश 53.27 इंच वर्ष 1875 में दर्ज की गई थी। इस साल बारिश से फसलों को काफी नुकसान हुआ था और इससे रतलाम क्षेत्र की कृषि व्यवस्था को भारी क्षति हुई थी। खासकर यह नुकसान पहाड़ी क्षेत्रों में हुआ था, जहां खड़ी फ़सलों पर पत्थर जा गिरेे थे। हालांकि यह भी जानकर आश्चर्य हो कि रतलाम में सबसे कम बारिश 16 इंच वर्ष 1899 में हुई थी। एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश का दिन 10 सितंबर 1902 का था। इस दिन एक ही दिन में मात्र पांच घण्टे में 9 इंच बारिश हुई थी। इतिहास के इन आंकड़ों में समय के साथ बदलाव होते रहे मगर इतने पुराने आंकड़ों को जानकर और पढ़कर इस सुहाने और बरसाती मौसम में हम इससे सुकून व्यक्त कर सकते हैं कि हम हमेशा से पानीदार रहे हैं।

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