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उनकी नौकरी बचाने का षड्यंत्र सरकार का, उनको भी दे दिया बीएड करने का मौका

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हरमुद्दा
रतलाम, 24 सितंबर। सरकारी स्कूलों के ऐसे शिक्षक-शिक्षकाओं की नौकरी बचाने का षडयंत्र सरकार कर रही है, जो कि स्नातक स्तर पर 50 फ़ीसदी भी अंक नहीं लाए हैं और मास्टर बने बैठे हैं। ऐसे तमाम शिक्षकों की नौकरी बची रहे, इसीलिए सरकार ने फैसला लिया है कि बीएड करने के लिए स्नातक स्तर पर 50 फीसद अंक की अनिवार्यता को शिथिल कर दिया जाए। ऐसे में प्रदेश के हजारों शिक्षकों को लाभ मिलेगा और उनकी नौकरी बचेगी, मगर विद्यार्थियों का भविष्य क्या होगा? यह सवालिया निशान है?

प्रदेश के शासकीय बीएड महाविद्यालयों में इन दिनों उन शिक्षकों की भीड़ बीएड करने के लिए लगी है, जिनके स्नातक स्तर पर पचास फ़ीसदी से भी कम अंक हैं। उन्हें बीएड करने की छूट प्रदेश सरकार ने दी है।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कई शिक्षक-शिक्षिकाएं ऐसे हैं जो प्रशिक्षित नहीं है। मगर सरकारी आदेश है कि शासकीय अथवा निजी विद्यालयों में बिना प्रशिक्षित शिक्षक नहीं रहेगा। यह तलवार उन शिक्षकों पर भी गिरी है जो स्नातक स्तर पर 50 फीसद से कम अंक आए हैं, लेकिन शिक्षक बने हुए हैं। ऐसे सभी शिक्षकों के लिए बीएड करने का अवसर स्कूल शिक्षा विभाग के पत्र का हवाला देते हुए राज्य शिक्षा केंद्र की संचालक आइरिन सिंधिया जेपी ने दिया है। इसके चलते प्रदेश के सभी आठ सरकारी बीएड कॉलेज में इसे सभी शिक्षकों की भीड़ लगी हुई है, जो बीएड नहीं है।

निजी के लिए जो जरूरी

शासकीय आदेश के अनुसार निजी स्कूलों में प्रधानाध्यापक का बीएड होना जरूरी है, वही स्कूलों में यदि विद्यार्थी की संख्या 200 है तो 5 प्रशिक्षित शिक्षक जरूरी है।
🔳 सतीश त्रिपाठी, स्कूल संचालक

प्रदेश के यह है आठ बीएड महाविद्यालय

वर्तमान में प्रदेश में 8 शासकीय बीएड महाविद्यालय हैं जिनमें देवास, खंडवा, रीवा भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, छतरपुर एवं उज्जैन हैं।

केवल उन्हें बीएड की पात्रता

सरकार के इस आदेश में केवल वहीं शिक्षक-शिक्षिकाएं बीएड के पात्र हैं जो 50 फ़ीसदी से कम अंक स्नातक स्तर पर लाए हैं और 50 वर्ष से अधिक की उम्र नहीं है। जिनकी उम्र 50 के पार हो गई है वह सरकार की इस योजना में बीएड करने की पात्रता नहीं रखते हैं।

तब लग गई उनकी भी नौकरी

उल्लेखनीय है कि बीएड करने के लिए स्नातक स्तर पर कम से कम 50 फीसद अंक होना जरूरी है, तभी बीएड करने के लिए योग्य माना जाता था, लेकिन सरकारी स्कूलों में कई शिक्षक-शिक्षिकाएं बीएड किए बिना ही सरकारी नौकरी में लग गए हैं। इस लिए ऐसे सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए सरकार ने इस इस सत्र में उन्हें स्नातक स्तर पर 50 फीसद से भी कम अंक होने के बावजूद बीएड करने के लिए योग्य मान लिया है। किंतु उम्र का बंधन लगा दिया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी शासकीय बीएड महाविद्यालय में 150-150 को प्रवेश दिया जाता है।

2 वर्ष का होगा बीएड

शिक्षक शिक्षिकाओं के लिए बीएड 2 वर्ष का होगा यानी कि 4 सेमेस्टर रहेंगे। इसके लिए शिक्षकों को ही शुल्क भरना होगा। हालांकि बीएड के दौरान उन्हें अपने स्कूल से वेतन मिलता रहेगा।

शिक्षा को ही सरकार ने बनाया षडयंत्र का शिकार

“मुद्दे” की बात तो यह है कि शिक्षा को ही सरकार ने षडयंत्र का शिकार बना दिया है। जो स्वयं पढ़ने में कमजोर हैं। स्नातक स्तर पर जिन को 50 फीसद से भी कम अंक मिले हैं। वे अब प्रशिक्षित शिक्षक बन जाएंगे। आखिर किसे क्या कितना सीख पाएंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन यह बात सच है कि ऐसे शिक्षकों से विद्यार्थियों का तो भला कतई नहीं होगा जिनके स्वयं का शैक्षणिक स्तर कमजोर रहा है, उन्हें बस धक्का लगा कर प्रशिक्षित शिक्षक बनाने का जतन सरकार कर रही है या यूं कहें कि उनकी नौकरी बचाने का षडयंत्र कर रही है।

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