सरकार और संगठन के बीच चल ही खींचतान को माना जा रहा है कारण हरमुद्दाअहमदाबाद, 11 सितंबर। गुजरात में...
गुजरात
हरमुद्दारतलाम, 15 मई। पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल से होकर परिचालित की जाने वाली 06 गाडियों को साइक्लोन की चेतावनी को...
🔲 श्री जैन श्वेताम्बर मालवा महासंघ ने दी भाव भीनी श्रध्दांजलि हरमुद्दाउज्जैन, 21 अप्रैल। जैन श्वेताम्बर श्री संघ के सागर...
हरमुद्दारविवार, 4 अप्रैल। गुजरात के मोरबी जिले के वांकानेर के महाराजा और पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री दिग्विजय सिंह प्रतापसिंह झाला...
🔲 डॉ. रत्नदीप निगम मित्रों , आज आपको शीतला सप्तमी की वास्तविक, प्रामाणिक एवम भारत के आयुर्वेद विज्ञान की रोचक...
🔲 संजय भट्ट भाई साहब को आपदा में अवसर ढॅूढने में महारत हांसिल थी। वे किसी भी आपदा में अवसर...
🔲 घर की दहलीज के बाहर खुशियां बांटी ना, तो "बगैर मास्क" वालों को यमराज कोरोना नहीं छोड़ेगा 🔲 दिनेश...
‘जीवन के दुःख-दर्द हमारे बीच ही हैं और खुशियां भी हमारे करीब।ज़रूरत इन्हें देखने और महसूस करने की है। सड़क पर चलते हुए जब किसी आदिवासी के फटे पैर दिखते हैं तो भीतर का कवि जाग जाता है।उस पीड़ा को वही समझ सकता है जो उस आदिवासी के प्रति संवेदना रखता हो।‘ इन संवेदनाओं को अपने सक्रिय जीवन में कई बार अभिव्यक्त करते रहे हिन्दी और मालवी के कवि, डाॅ. देवव्रत जोशी आम जनता की पीड़ा, दुःख-दर्द से, कलम और देह से उसी तरह जुड़े रहे जिस तरह कोई शाख पेड़ से जुड़ी रहती है। पाॅच दशक तक निरंतर लिखते हुए देवव्रत जी ने साहित्य के कई उतार-चढ़ाव देखे। वे छंदबद्ध रचना छंदमुक्त दौर के सर्जक/साक्षी रहे। उन्होंने गीत-नवगीत और नई कविताएॅं लिखी। उनकी कलम जब भी चली नई परिपाटी को गढ़ती चली गई। ज़िन्दगी से लम्बी जद्दोजहद के...
🔲 सौराष्ट्र के अयोध्यापुरम तीर्थ में हुआ नवीनीकरण पूजन 🔲 करीब 18 साल में 7 करोड़ से अधिक बार हुए...