“धमाल”
लघुकथा
चाय की होटल पर सवेरे 5 से रात 9 बजे तक अनथक काम करना उसका रूटीन है। चाय के खाली गिलास उठाना, उन्हें धोना, कचरा हटाना, टेबलें पोंछना आदि काम उसके जिम्मे हैं।
रात को दुकान बंद होने से पहले आज भी उसने दुकान के बाहर बिखरा कचरा समेटा और कचरा पेटी के हवाले कर लौटा।
उसके मोबाइल पर उसे उसकी बहन का रिश्ता तय होने का समाचार मिला तो उसे अपार आनंद प्राप्त हुआ।
खुशी को जाहिर करते हुए उसने अपने दोस्तों को इकट्ठा किया फिर अंग्रेजी शराब की दो बोतलें खरीद कर अपनी निगाह में जश्न मनाया। नाचते गाते उन्होंने बोतलें खाली की और पास की दीवार पर बोतलें फोड़कर छनक की आवाज़ का भी आनंद लिया।
बोतल फोड़े जाने की बात से किसी को परेशानी हो गई और अगले कुछ ही पलों में मिली सूचना के आधार पर पुलिस ने उन्हें आ दबोचा।
सारे दिन “सभ्य” लोगों द्वारा बिखेरे जाने वाले कचरे को उठाने के बावजूद “एक रात” बोतल फोड़े जाने को, उसके आनंद मनाने को धमाल कैसे कहते हैं? यह बात वह आज तक समझ नहीं पाया है…..
✍ राजेश घोटीकर