अफीम किसानो से रिश्वत बतौर 36 करोड वसूले हैंगिंग ब्रिज के पास दल ने दबोचा खेल में...
राजस्थान
जैन समाज में आक्रोश : अनोप मंडल द्वारा की जा रही जैन समाज के खिलाफ कृत्यों की निंदा, सजा की हुई मांग
🔲 एडीएम को दिया सकल जैन श्री संघ ने ज्ञापन हरमुद्दा रतलाम, 3 जून। राजस्थान में अनोप मंडल द्वारा जैन...
हरमुद्दामंगलवार, 4 मई। रविवार और सोमवार के दो दिन श्री त्रिवेदी मेवाडा ब्राह्मण समाज के लिए काफी वेदना पूर्ण रहे।...
केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री गहलोत की बेटी का निधन पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद बाद उनकी बेटी...
एक पर प्रकरण दर्ज हरमुद्दापिपलौदा, 24 अप्रैल। पुलिस ने स्कूल बैग में अवैध शराब परिवहन करते हुए रतलाम के...
🔲 डॉ. रत्नदीप निगम मित्रों , आज आपको शीतला सप्तमी की वास्तविक, प्रामाणिक एवम भारत के आयुर्वेद विज्ञान की रोचक...
🔲 संजय भट्ट भाई साहब को आपदा में अवसर ढॅूढने में महारत हांसिल थी। वे किसी भी आपदा में अवसर...
🔲 घर की दहलीज के बाहर खुशियां बांटी ना, तो "बगैर मास्क" वालों को यमराज कोरोना नहीं छोड़ेगा 🔲 दिनेश...
‘जीवन के दुःख-दर्द हमारे बीच ही हैं और खुशियां भी हमारे करीब।ज़रूरत इन्हें देखने और महसूस करने की है। सड़क पर चलते हुए जब किसी आदिवासी के फटे पैर दिखते हैं तो भीतर का कवि जाग जाता है।उस पीड़ा को वही समझ सकता है जो उस आदिवासी के प्रति संवेदना रखता हो।‘ इन संवेदनाओं को अपने सक्रिय जीवन में कई बार अभिव्यक्त करते रहे हिन्दी और मालवी के कवि, डाॅ. देवव्रत जोशी आम जनता की पीड़ा, दुःख-दर्द से, कलम और देह से उसी तरह जुड़े रहे जिस तरह कोई शाख पेड़ से जुड़ी रहती है। पाॅच दशक तक निरंतर लिखते हुए देवव्रत जी ने साहित्य के कई उतार-चढ़ाव देखे। वे छंदबद्ध रचना छंदमुक्त दौर के सर्जक/साक्षी रहे। उन्होंने गीत-नवगीत और नई कविताएॅं लिखी। उनकी कलम जब भी चली नई परिपाटी को गढ़ती चली गई। ज़िन्दगी से लम्बी जद्दोजहद के...