डॉ. मुरलीधर चाँदनीवाला –----- ----------------------- दुर्गा कहो मुझे या चण्डी , अबला कहो या सती सावित्री , सब तुम्हारी इच्छा...
साहित्य
हरमुद्दा डॉट कॉम रतलाम। कविता हम सबके भीतर होती है, हर काम कविता की शक्ल ले सकता है। कोई डाक्टर या...
हरमुद्दा डॉट कॉम नई दिल्ली। हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह का मंगलवार की मध्य रात्रि यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान...
डॉ. मुरलीधर चाँदनीवाला ---------------------------- हे धरती ! हे आकाश ! मेरे खून में क्रान्ति भर दो । मेरे दिल में...
त्रिभुवनेश भारद्वाज ------------------------ सच नहीं भाई नहीं चाहिए आगे जाइए यहाँ कोई सुनने वाला नहीं सब तरफ निपुण व्यवसायी हैं...
त्रिभुवनेश भारद्वाज ------------------------ रोम-रोम पुलकित हुआ, अँखिया ढूँढे मीत ऋतु बसंत के साथ जब फागुन गाए गीत मौसम की अंगड़ाई...
डॉ. विवेक चौरसिया –--------------------- देश में जितने भी अवांछित हैं उन्हें तत्काल देश से निकाल देना चाहिए अन्यथा ये देश...
डॉ. मुरलीधर चाँदनीवाला ___________________ आग लगी है तुम्हारे भीतर तो ईधन की लकड़ियाँ भी तैयार हैं इधर , तुम उतर...
डॉ. मुरलीधर चाँदनीवाला ____________________ जब कभी हमारे सैनिक शहीद होते हैं , तब देशभक्ति के तराने गूँजने लगते हैं। हम एक...