फटी चादर 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर शहर अनलॉक होने के बाद उसकी दुकान के सामने से पहली बार गुज़रना हुआ।...
तमिलनाडु
हाथ हैं, काम नहीं 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर सुबह-सुबह एक परिचित का फोन आया, कोई मिस्त्री है क्या? थोड़ा काम...
तस्वीरों का सच 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर वे घर में अकेले रहते हैं। पत्नी गुज़र गई। बच्चियां विवाह के बाद...
हरमुद्दा नई दिल्ली, 7 जून। कोरोना वायरस के चलते देशभर में मार्च के मध्य से बंद शैक्षणिक संस्थान अगस्त के...
🔲 क़लम को स्वाभिमान की तरह धारण करने वाले मेरे गज़लकार बाबूजी हुए दुनिया से विदा 🔲 जितेंद्र राज साहित्य...
ज़िन्दगी अब -5 : क्या बजे बाजे ? 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर वटवृक्ष की पूजा के लिए एकत्रित महिलाओं के...
श्रमिक बेचारा 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 मंजुला पांडेय ऊँचे महलों में बैठे ये जुमलेकारों की बातें बैठे ऊँची गद्दी पर आलिम-हाकिमों की...
भारती वर्मा की चुनिंदा कविताएं 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 बूढ़ी मां माँ तो बूढ़ी होती है जिम्मेदारी के बोझ से अपने बच्चों की...
जिंदगी अब -2 : बिखरी लय, टूटी ताल 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर वह ढोलक बजाता है यानी ढोल वादन में पारंगत...