धुआं ही धुआं 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर लकड़ियां गीली थीं मगर वह उन्हें इकट्ठा किए जा रही थी। बारिश की...
गोवा
दुष्यंतकुमार के बहाने 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 डाॅ.मुरलीधर चाँदनीवाला अभी कुछ दिनों पहले डीबी स्टार भोपाल के प्रथम पृष्ठ पर रतलाम के...
नसीहतें 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर उनका मन खिन्न था। वे परेशान दिखाई दे रहे थे। उनकी व्यथा का कारण यही था...
ज़िम्मेदारी 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर "मुसीबत से पार पाना किसी एक का काम नहीं। यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है। जब...
मजबूरी और कर्ज़ 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर इस कर्ज़ की उम्मीद उन्होंने कभी नहीं की थी। कभी यह सोचा ही...
मांग संवारा करो उगते सूरज की लाली से मांग सुबह की सजाया करो ओस में भीगे गुलाबों से फ़िज़ा का...
समझ 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर 'परंपराएं हमने ने ही बनाई।अपने भले के लिए ही बनाई। ये परंपराएं कब हमारी आदतों...
बेख़बर 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर 'देखिए यह अख़बार क्या कह रहा है।' उन्होंने मेरे सामने अख़बार पटकते हुए कहा। मैंने...
सितम और ग़म 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर उनके पास आज एक मित्र का फोन आया। मित्र ने फोन पर सीधे-सीधे...