🔲 क़लम को स्वाभिमान की तरह धारण करने वाले मेरे गज़लकार बाबूजी हुए दुनिया से विदा 🔲 जितेंद्र राज साहित्य...
छात्तिशगढ़
ज़िन्दगी अब -5 : क्या बजे बाजे ? 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर वटवृक्ष की पूजा के लिए एकत्रित महिलाओं के...
श्रमिक बेचारा 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 मंजुला पांडेय ऊँचे महलों में बैठे ये जुमलेकारों की बातें बैठे ऊँची गद्दी पर आलिम-हाकिमों की...
क्या थे, क्या हो गए 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर जूना, पुराना सामान, रद्दी वाला......... आवाज़ लगाता हुआ वह घर के...
भारती वर्मा की चुनिंदा कविताएं 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 बूढ़ी मां माँ तो बूढ़ी होती है जिम्मेदारी के बोझ से अपने बच्चों की...
जिंदगी अब -2 : बिखरी लय, टूटी ताल 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर वह ढोलक बजाता है यानी ढोल वादन में पारंगत...
जिंदगी अब -1 : उसकी ख़ामोशी, उसके दर्द 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर पैंसठ दिनों के बाद बिरजू अपने पानी पतासे के...
कोरोना सेनानियों के लिए 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 बृजराज सिंह बृज उन भाई बहनों के लिए जो कोरोना संक्रमित हैं, ...
30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर विशेष 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 'कोरोनाकाल में मीडिया मालिकान...