मजबूरी और कर्ज़ 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर इस कर्ज़ की उम्मीद उन्होंने कभी नहीं की थी। कभी यह सोचा ही...
साहित्य
मांग संवारा करो उगते सूरज की लाली से मांग सुबह की सजाया करो ओस में भीगे गुलाबों से फ़िज़ा का...
बूंद अहसासों की एक बूंद तुम्हारे अहसासों की मेरी नज़रों पर ठहर गई एक बूंद तुम्हारी मुस्कानों की मेरे...
मालवा के मुरलीधर 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 राजशेखर व्यास मुरलीधर चाँदनीवाला इस युग के ऋषि कवि हैं। आत्म-प्रसिद्धि और आत्म-प्रचार से दूर नि:स्पृह...
जिंदगी अब -2 : बिखरी लय, टूटी ताल 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर वह ढोलक बजाता है यानी ढोल वादन में पारंगत...
शुक्रिया कोरोना योद्धाओं! ____________________ 🔲 डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला शुक्रिया कोरोना योद्धाओं! शुक्रिया कि तुम लड़े मौत से लड़ने वालों के...
उम्मीद परिंदे की 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 मंजुला पांडेय काल खड़ा है देख सामने लौट रहा है आज परिंदा अपनी नीड़...
जब माँ थीं प्रवास पर 🔲 डॉ. कविता सूर्यवंशी 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 माँ जब घर में नहीं होती पूरा घर मानों...
कहानी : कवि प्रेम 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 जितेंद्र शिवहरे काव्य मंचों पर अंजना आज जाना-पहचाना नाम था। एक कवि सम्मेलन में...