वक्र-चक्र 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर वह सीधे-सीधे दुकानदार से पूछ रहा था कि अपना बिगड़ा हुआ रोटेशन तुम कब ठीक...
पंजाब
दलदल 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर " अब तो तुम्हारी ज़िंदगी की गाड़ी पटरी पर आने लगी होगी। महीने भर में...
दूध के धुले 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर " आप तो हर बात ऐसे करते हैं जैसे आप खुद दूध के...
हुनर का क्या करें ? 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर "जो दो वक्त की रोटी न दे सके ,उसे हुनर कहो...
बुरे वक्त की भलाई 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर "किसी भी समय को बुरा क्यों कहते हो भैया। बुरा समय किसी...
गरीबी में गुड़ गीला 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर " गुड़ है क्या?" एक ग्राहक ने जैसे ही उससे पूछा उसके...
कर्ज़दार 🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲🔲 🔲 आशीष दशोत्तर " पूरे पचास हजार की कर्ज़दार हो गई हूं। यह कर्ज़ कैसे चुकता होगा, कब...
🔲 आपदा में मुस्कान का अवसर 🔲 इन शब्दों के बिना अब जिंदगी अधूरी सी हरमुद्दा बात तो मुद्दे की...
बूंद अहसासों की एक बूंद तुम्हारे अहसासों की मेरी नज़रों पर ठहर गई एक बूंद तुम्हारी मुस्कानों की मेरे...