अभावों में रहकर खेलों के क्षेत्र में नाम किया रोशन चन्द्रिका ने

🔳 राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में मिल चुके हैं स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक

🔳 खेल विभाग से अब 10 हजार रुपए प्रतिमाह मिल रही है खेलवृत्ति

हरमुद्दा
शाजापुर, 23 नवंबर। शाजापुर की रहने वाली 15 वर्षीय चंद्रिका मितोला पिता राकेश मितोला ने अभावों में रहकर खेल के क्षेत्र में नाम रोशन किया। खेल में हासिल उपलब्धियों के आधार पर अब मध्यप्रदेश शासन के खेल एवं युवा कल्याण संचालक द्वारा खेलों इंडिया योजना के तहत चंद्रिका को 10 हजार रुपए प्रतिमाह की खेलवृत्ति प्रदान की जा रही है।

चंद्रिका के पिता स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्यरत हैं। उनकी छोटी सी आय और बच्चों की शिक्षा का भार से परिवार अभावग्रस्त रहता है। वर्तमान में स्थानीय महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 10वीं में अध्ययनरत है। चंद्रिका को प्रारंभ से ही खेलों की गतिविधियों में रूचि थी।

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ऐसे हुआ सफर शुरू

वह जब कक्षा 6वीं में थी तो उत्कृष्ट विद्यालय में योग सीखने जाती थी। योग के प्रति रूचि को देखते हुए योग के शिक्षक गौरव ने उसे मलखम्ब प्रशिक्षक योगेश मालवीय से मिलवाया। इसके बाद उसका प्रशिक्षण का सफर शुरू हुआ। रोप मलखम्ब में भी उसने निपूणता हासिल की।

चेन्नई में मिला चंद्रिका को स्वर्ण पदक

शाजापुर की मलखम्ब टीम से वह चेन्नई में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल हुई। यहां उसकी टीम को स्वर्ण पदक मिला। इसके बाद गोवा में रजत पदक हासिल हुआ। उज्जैन में उसे एकल प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। मध्यप्रदेश सरकार की खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय की खेलों इंडिया योजना के तहत जूनियर वर्ग में जिन खिलाड़ियों को नेशनल खेल में मेडल मिलता है, उन्हें खेलवृत्ति दी जाती है। इस योजना के तहत चंद्रिका को भी 10 हजार रुपए प्रतिमाह की खेलवृत्ति प्राप्त हो रही है। खेलवृत्ति एक वर्ष तक दी जाती है।

इनका रहा सराहनीय योगदान

चंद्रिका को प्रोत्साहित करने में खिलाड़ी अमित राठौर, सचिन गवली, लोकेश नायक, सतीश गवली का सराहनीय योगदान रहा।

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