हमारी सोच वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रभावित रहे : श्री पाण्डे
⚫ जनवादी लेखक संघ द्वारा ‘विज्ञान अनुसंधान और विकास’ पर व्याख्यान आयोजित
हरमुद्दा
रतलाम, 15 जून। हमारी सोच स्पष्ट हो ,दृष्टिकोण वैज्ञानिक हो और हर वक्त हम अपनी दृष्टि को नवीनतम खोज एवं वैज्ञानिक तथ्यों से परिपूर्ण करते रहें। इसी से हम समाज में हो रहे बदलाव को सही अर्थों में समझ पाएंगे।
यह विचार जनवादी लेखक संघ , जन नाट्य मंच एवं युगबोध द्वारा ‘ वैज्ञानिक अनुसंधान एवं वर्तमान’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष विज्ञानी अमिताभ पांडे ने व्यक्त किए।
अंधविश्वासों को दूर करता है विज्ञान
उन्होंने कहा कि विज्ञान हमारी सोच को परिष्कृत करता है और हमें तर्कपूर्ण विचारों की तरफ़ प्रवृत्त करता है । हम कही गई बात पर विश्वास करने लगते हैं। उन बातों पर अंधविश्वास करने लग जाते हैं जो झूठ की तरह हमारे बीच फैलाई जाती है । विज्ञान हमें उसी झूठ का पर्दाफाश करने की ताक़त देता है । विज्ञान अंधविश्वासों को दूर करता है ।
तार्किक रूप से स्पष्ट किया वैज्ञानिक सोच को
डॉ. पांडे ने भौतिक शास्त्र , रसायन शास्त्र और जीव विज्ञान के सिद्धांतों की व्याख्या करते हुए स्पष्ट किया कि हमारे बीच ‘सेक्यूलर’ एवं ‘डेमोक्रेटिक’ शब्द विज्ञान से ही आए हैं। विज्ञान ही सिखाता है कि हमें बेहतर को स्वीकार करना है और जो बुरा है उसे तिरस्कृत करना है। यह हमारे विचारों को मज़बूत करने और हमारे विश्वास को ताक़त देने का प्रयास करता है। उन्होंने डार्विन के सिद्धांत से मनुष्य जाति के विकास क्रम, कैपलर एवं न्यूटन के नियमों से ग्रहीय गति को स्पष्ट करते हुए वैज्ञानिक सोच को तार्किक रूप से स्पष्ट किया।
बदलावों को समझने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण जरूरी
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. रतन चौहान ने कहा कि दुनिया में हो रहे बदलावों को समझने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण बहुत आवश्यक है। हमें मिथकों से यथार्थ की ओर जाना चाहिए मगर दुर्भाग्य इस बात का है कि हमें यथार्थ से मिथक की तरफ़ ले जाया जा रहा है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दूर रहने के कारण ही इस मिथ को यथार्थ मानने के लिए लोग विवश हैं। इस परिस्थिति को बदलना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि 19वीं सदी में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को नई दिशा डार्विन ने अपने सिद्धांतों से दी। वैचारिकता को नई दिशा मार्क्स ने अपनी सोच से दी और मानसिकता को नई दिशा सिगमंड फ्रायड ने अपने दृष्टिकोण से दी। वहीं से हमें अपने विचारों, अपने व्यवहार और अपनी सोच को परिवर्तित करने का एक नया रास्ता मिला। इस रास्ते पर चलकर ही हम हर उस झूठ का मुकाबला करने के लिए खड़े रहे जो हमारे सामने समय-समय पर पेश किया जाता रहा। उन्होंने कहा कि आज भी हमें उस झूठ का मुकाबला करने के लिए तर्कपूर्ण और प्रयोग आधारित वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जुड़ने की ज़रूरत है।
यह थे मौजूद
कार्यक्रम का संचालन करते हुए युसूफ़ जावेदी ने विषय प्रवर्तन किया । आभार प्रदर्शन युगबोध के अध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्र ने किया। इस अवसर पर जनवादी लेखक संघ के सचिव रणजीत सिंह राठौर , श्याम माहेश्वरी, डॉ. खुशाल सिंह पुरोहित, मुस्तफा आरिफ़, डॉ. मनोहर जैन , फ़ैज़ रतलामी, अब्दुल सलाम खोकर, आशीष दशोत्तर, प्रणयेश जैन, श्याम सुंदर भाटी, प्रकाश मिश्र, विशाल वर्मा, गौरी नंदन शर्मा, मदन यादव, सलीम पठान, श्रीकांत ओझा, सुभाष यादव , गीता राठौर, कीर्ति शर्मा सहित सुधि श्रोता मौजूद थे।