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त्यौहार सरोकार : कच्चे धागे पक्के रिश्ते

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भाई-बहिन का पाक रिश्ता
जन्नत से ही बनकर आता है,
तभी तो एक उदर से उनका
तन निकलकर एक घर में आता।

डॉ. नीलम कौर

भाई-बहिन का पाक रिश्ता
जन्नत से ही बनकर आता है,
तभी तो एक उदर से उनका
तन निकलकर एक घर में आता।

हाँ सामाजिक रीत निर्वहन में
बहिन को घर की ड्योढ़ी लांघ,
पराई दहलीज में रख कदम
घर-संसार अपना बसाना होता है।

तभी समाज में रक्षाबंधन का त्योहार
मनाया जाता है,सनातनी गठबंधन को
कच्चे धागे में पिरोकर पक्का रिश्ता
बना जन्नती रिश्ते को मजबूत रखता है।

है ये कच्चे धागे का पक्का रिश्ता
है आश्वासन और भरोसे का,
माँ-बाबा के बाद भी बहन का मायका है,
उसके बचपन को सहेजे हुए।

कमजोर नहीं, अबला नहीं मगर
फिर भी इच्छित भाई के संरक्षण की,
तभी दूर हो या पास इस दिन भाई
से मिल सुखदुख साझा करने को
आती मिलने को।

मन में फरियाद बहना की भाई का
सुख संपन्न जीवन और आयु शतायु हो,
भाई के आशीर्वाद में बहना का सदा
रहे सुखी संसार।

डॉ. नीलम कौर

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