ओ दुनिया के रखवाले क्यों द्वार पड़े तेरे ताले
🔲 देश में 90 करोड़ हिन्दुओं की आस्था पर ताला
🔲 सनातन सोशल ग्रुप ने दर्शनार्थियों के लिए मंदिरों में प्रवेश अनुमत्य करने की लगाई सरकार से गुहार
🔲 हरमुद्दा
रतलाम, 22 मई। भारत सरकार ने ’’कोरोना वायरस’’ से लड़ने की नई नीति में व्यापार व्यवसाय को शुरू करने के साथ रुके से जीवन को फिर से गति देने का फरमान जारी किया और देश में गम गलत करने के लिए शराब की दुकानों को नागरिकों की प्राथमिक जरूरत मानते हुए शुरू किया और इसके बाद आलोचना से बचने के लिए सिलसिलेवार उद्योग, व्यापार, व्यवसाय,आवागमन, रेल व वायुयान परिवहन तक शुरू करने के आदेश जारी किए। यहां तक की केश कर्तनालय और सड़क चौपाल के छोटे-मोटे व्यवसाय को भी शुरू करने की अनुमति दे दी लेकिन इस देश में करोड़ों लोगों के सुख दुःख के आधार और आसरे मंदिरों को खोलने की आदेश जारी नहीं किए।
सरकार को भय है कि मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारों के द्वार भी खोल दिए तो ’’कारोना वाइरस’’ को ठहरने का मुकाम मिल जाएगा। देश में 90 करोड़ हिन्दुओं की आस्था पर ताला लगा रखा है।
पाबंदी किस हद तक जायज?
मुद्दे की बात यह है कि अब जबकि सारा आलम खुला खुला है। मंदिरों और धर्म स्थलों के बंद होने से जनता में सरकार की सोच और रवैये को लेकर व्यापक रोष का सबब बन रहा है। आम जनता में इस बात को लेकर भी आक्रोश है कि जब महामारी का खतरा बढ़ाने वाले सारे कामकाज शुरू कर ही दिए हैं तो मंदिरों में दर्शनों पर पाबंदी किस हद तक जायज है। उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में भारत की पैठ मन को आनंद और जीवन को गुलजार करने वाले धर्म स्थलों से हैं। जीवन को ऊर्जा का संचार मंदिरों की चौखट से ही मिलता है।
अदालत है मंदिर और धर्म स्थल
जन जीवन का एक अहम हिस्सा है मंदिर। करोड़ों लोगों के दुःख को सुनने वाली अदालत है मंदिर और धर्म स्थल। कोई पूछे कि इस चार दीवारी में जो मूरत है, उसे देखकर क्या मिलता है ? भारतीय जनमानक का एक स्वर में उत्तर मिलता है शांति, सुकून और विश्वास मिलता है। मुश्किलों में सुलह की राह मिलने का आश्वासन मिलता है।
शंखनाद से आगाज और शयन आरती से होता है विश्राम
भारत को धर्मों की भूमि कहा जाता है। जहां मंदिरों के प्रशालों से गूंजती घंटी, घड़ियाल और शंखनाद के स्वर से सुबह आगाज लेती है और शयन आरतियों से करोड़ो लोग विश्राम लेते हैं। उस देश में मंदिरों पर ताले लगे रहना ज्यादती माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री से किया है अनुरोध
सनातन सोशल ग्रुप के मुन्नालाल शर्मा ने हरमुद्दा को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज से हिन्दू मन मानस का सम्मान करते हुए तुरन्त मंदिरों को आम दर्शनार्थी के लिए खोलने का अनुरोध किया है। श्री शर्मा का कहना है कि सरकार ने कोरोना के प्रभाव को कम आंकतें हुए जब लगभग सारे व्यापार व्यवसायों और बाजार चैपालों यहां तक कि शराब और पान गुटका, नाई की दुकानों तक को एहतियात के पालन के साथ खोले जाने की छूट दे दी है तो मंदिरों में भगवान के दर्शनों से पाबंदी क्यों नहीं हटाई जा रही है। यह भी जनचर्चा सामने आ रही है कि सरकार को भय है कि सर्व धर्म समभाव के चलते सरकार को केवल मंदिर ही नहीं बल्कि सभी धर्म स्थलों को दर्शनार्थियों के लिए खोलने की इजाजत देना होगी।
मंदिरों से मुखरित होती है कानून व्यवस्था को पालन करवाने की प्रेरणाएं
श्री शर्मा का कहना है कि सनातन धर्म की शिक्षाएं समाज में सहयागी वातावरण उत्पन्न करने में सहयोग करने वाली है। सनातन धर्मावलम्बियों ने सदैव धैर्य, सहिष्णुता और अनुशासन का परिचय दिया है और देश भर में लाक डाउन का पालन करने के समर्थन के रूप में मंदिरों में देव प्रतिमाओं ने भी ’’मास्क’’ पहना है। ये इस बात का संदेश है कि मंदिरों से देश में अराजकता और विद्रोह उत्पन्न करने के नहीं अपितु देश में कानून व्यवस्था का पूरी निष्ठा से पालन करने की प्रेरणाएं मुखरित होती है।
भयभीत जीवन में जरूरी आस का सूरज
सरकार महामारी से बचाव की सारी शर्तों का पालन लागू करके मंदिरों में दर्शनार्थियों के प्रवेश से रोक को हटाए ताकि भयभीय जनजीवन में आस का सूरज फिर से उग सके और करोड़ों धर्मावलम्बियों को जीवन की रक्षा के लिए ईश्वर के वास्तविक शक्ति केन्द्रों पर जाकर अपनी पीड़ा और प्रार्थना रखने का मौका मिल सके।