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काश ये “फेक” न्यूज़” होतीं, ले गए दो पत्रकार विदाई

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🔲 आशीष दशोत्तर

रतलाम। ख़बर सिर्फ इतनी ही नहीं थी कि रतलाम के दो पत्रकार साथी मंगलवार को हमारे बीच से विदा हो गए। ख़बर यह थी कि हमने अपने उन साथियों को खो दिया जो हमारे अपने और हमारे बहुत क़रीब थे। काश, ये ख़बर झूठी होती… । बार-बार दिल यही कहता है कि इन ख़बरों को “फेक न्यूज़” ही होना था, मगर हर बार वह नहीं होता जो अपना दिल चाहे। ये खबरें सही थी।

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बीते दिन जब पत्रकार साथी हेमंत भट्ट का फोन आया और उन्होंने यह बताया कि महेंद्र जैन नहीं रहे तो एक बार विश्वास ही नहीं हुआ। मैंने कहा और कोई महेंद्र जैन होंगे, मगर उन्होंने बताया कि महेंद्र भाई कोरोना से जूझते हुए हमारे बीच से गुज़र गए । महेंद्र जैन हमारे लिए बहुत आत्मीय थे। दैनिक भास्कर में पत्रकारिता की हमने लगभग साथ ही में शुरुआत की थी। जब हमें रतलाम से राजस्थान स्थानांतरित किया गया तो राजस्थान के सबसे आखरी इलाके बीकानेर में जाने के लिए महेंद्र भाई और हम दोनों ही तैयार हुए।

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हम वहां दो वर्ष तक रहे। इस दौरान एक साथ रहते और पत्रकारिता के मूल्यों के साथ उस सरहदी इलाके में काफी ख़बरें गढ़ी जो आज भी याद की जाती है। वे दिन और भी मुश्किल होते अगर महेंद्र भाई का साथ मुझे न मिला होता। महेंद्र भाई इन दिनों मंदसौर में रहकर पत्रकारिता से जुड़े थे। उनका इस तरह चले जाना भीतर तक विचलित कर गया।

हमसे विदा ले गए वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सिंह जी देवड़ा

हमारे क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सिंह जी देवड़ा भी हमसे विदा ले गए। रतलाम जिले के सुदूर अंचल बाजना में रहते हुए उन्होंने पत्रकारिता के कई मापदंड स्थापित किए। बाजना क्षेत्र को आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि आज तमाम साधनों के बावजूद वहां अखबार सुबह नौ बजे से पहले नहीं पहुंचता है । ऐसे में उस दौर में जब संचार के साधन नहीं थे, आवागमन के साधनों की कमी थी, तब देवड़ा जी नईदुनिया में निरंतर ख़बरें भेजा करते थे।

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हम उनकी ख़बरें देखकर उस समय आश्चर्यचकित भी होते थे कि जो ख़बर हम शहर में रहकर नहीं गढ़ पाते हैं, वे खबरें देवड़ा जी इतनी दूर बैठकर कैसे गढ़ लेते हैं । उनकी ख़बरों में आदिवासी अंचल के लोगों का दर्द भी होता था, उनकी समस्याएं भी होती थी और उनकी परेशानी भी । इतना ही नहीं जब कोई मंत्री या अधिकारी बाजना के दौरे पर जाता तब देवड़ा जी पूरी मजबूती के साथ और होमवर्क के साथ उनसे सवाल करते और वहां की समस्याओं को सामने रखते। उनकी लेखनी निरंतर चलती रही। अधिक उम्र होने के बावजूद वे ख़बरों को लेकर सचेत और संवेदनशील रहे । उनका जाना भी हमारे लिए व्यक्तिगत क्षति के समान है।

ईश्वर के आगे किसी का बस नहीं चलता

ईश्वर के आगे किसी का बस नहीं चलता दोनों साथी हम से जुदा हो चुके हैं, लेकिन उनकी कई स्मृतियाँ हमारे साथ आज भी मौजूद हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति दे…..।

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