शिक्षा को अब कैरियर ओरिएंटेड नहीं बल्कि रुचि आधारित बनाए जाने का प्रयास

🔲 नई शिक्षा नीति एवं फिट इंडिया विषय पर हुई विचार संगोष्ठी

प्राजक्ता डॉन गोधा
भिलाई, 22 अगस्त। नई शिक्षा नीति में प्रधानमंत्री ने उम्र को अधिक महत्व दिया है। बड़ी-बड़ी डिग्री के बाद भी आज लोग बेरोजगार है। शिक्षा नीति में बदलाव लाकर असल में लोगों को उसके हुनर से जोड़कर रोजगार दिलाने की योजना है। पढने में अच्छे वाला गणित, उससे कम वाला बायो, उससे कम वाला काॅमर्स और उससे भी कम वाला आर्ट्स से आगे की शिक्षा चुनने के लिए विवश है, जिसे नई शिक्षा नीति में दूर किया गया है। शिक्षा को अब कैरियर ओरिएंटेड नहीं बल्कि रुचि आधारित बनाए जाने का प्रयास है।

यह विचार शिक्षा प्रकोष्ठ छग प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष कांतिलाल जैन ने व्यक्त किए। श्री जैन नई शिक्षा नीति एवं फिट इंडिया विषय पर हुई विचार संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे।

कमल पुष्प से किया अतिथियों का स्वागत

मुख्य अतिथि शिक्षा प्रकोष्ठ छग प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष कांतिलाल जैन तथा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी जयंत देवांगन, सेवानिवृत्त प्राचार्य गिरिवर लाल साहू तथा वरिष्ठ योग अनुदेशक अरूण अग्रवाल मौजूद थे। अध्यक्षता अशोक चंद्रवंशी ने की। उपस्थितों का कमल पुष्प देकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं 10 वर्षीय बाल कवयित्री महक डॉन गोधा “मासूम” द्वारा गणेश वंदना के साथ हुआ। संचालन बाल कवयित्री प्रेक्षा डॉन ने गया।

श्रेष्ठ संचालन पर सम्मानित करते हुए आयोजक

2022 तक मुहिम को पूर्ण करने का लक्ष्य

केन्द्र सरकार द्वारा लागू नई शिक्षा नीति एवं फिट इंडिया विषय पर कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए आयोजक एवं कार्यकारिणी सदस्य शिक्षा प्रकोष्ठ छग प्रदेश भाजपा बृजमोहन उपाध्याय ने बताया कि छग प्रदेश भाजपा शिक्षा प्रकोष्ठ द्वारा नई शिक्षा नीति एवं फिट इंडिया मुहिम को जन-जन पहुंचाने का बीड़ा उठाया गया है। वर्ष 2022 तक इस मुहिम को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत् यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। आगे भी इस तरह के आयोजन व्यापक रूप से किए जाने के लिए कटिबद्व है।

नई शिक्षा नीति से समस्याओं से धीरे-धीरे मिलेगी निजात

श्री जैन ने कहा कि उच्च शिक्षित होने के बाद रोजगार के लिए संतान विदेश में है जिसके कारण अच्छी कमाई करने वाली संतान होने के बाद भी वृद्व माता-पिता वृद्वाश्रम में रहने को मजबूर है। यह दुखद है। इसमें सुधार तत्काल संभव नहीं है, किन्तु नई शिक्षा नीति से इन समस्याओं से धीरे-धीरे निजात मिलेगी। फिट इंडिया के लिए खान-पान महत्वपूर्ण है। सभी जिम संचालक भी सुझाव देते है कि स्वस्थ रहने में शारीरिक गतिविधि से 20 फीसदी ही सहयोग मिलता है। शेष 80 फीसदी का कार्य अच्छे और संयमित खान-पान से ही हो जाता है।

खेल के माध्यम से स्वस्थ होते देखा है कई रोगग्रस्त व्यक्तियों को

विशेष अतिथि जयंत देवांगन ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे बैडमिंटन प्रशिक्षक के रूप में सेवा दे रहें और कई रोगग्रस्त व्यक्तियों को खेल के माध्यम से स्वस्थ होते देखा है। केन्द्र सरकार की फिट इंडिया से लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

इंडिया केवल इंडिया को नहीं बल्कि पूरे विश्व को फिट करने की रखता योग्यता

वरिष्ठ योग अनुदेशक अरूण अग्रवाल ने कहा कि इंडिया केवल इंडिया को नहीं बल्कि पूरे विश्व को फिट करने की योग्यता रखता है। आज से ढ़ाई हजार पूर्व महर्षि पतंजलि हुए, जिन्होंने योग सिखाया। किन्तु धीरे-धीरे योग विलुप्त होता गया और आज पुनः अनेक असाध्य रोगों के प्रभाव के कारण योग विद्या ने लोगों को आकर्षित किया और वर्तमान में योग सभी मंच पर छाया हुआ हैं। समय पर नींद और संयमित भोजन से शरीर को फिट रखा जा सकता है।

शिक्षा के अनुपात में बढ़ोत्तरी हुई, मगर उसका मूल्य कम

सेवानिवृत्त प्राचार्य गिरिवर लाल साहू ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा और स्वास्थ्य पर चर्चा बहुत ही आवश्यक है। वर्तमान युग मोबाईलयुक्त युग है। 24 घंटे घर के अंदर रहने से लोग एग्रेसिव होते जा रहे हैं। वर्तमान में शिक्षा के अनुपात में बढ़ोत्तरी तो हुई है लेकिन उसका मूल्य कम हो गया है। इसलिए नई शिक्षा नीति और फिट इंडिया जैसी योजना समय की आवश्यकता थी। वर्तमान की शिक्षा नीति एवं फिट इंडिया से यह संभव है।

गलत शिक्षा नीति के चलते अपना देश पिछड़ा

अध्यक्षता कर रहे अशोक चंद्रवंशी ने कहा कि हमारा देश पहले ही विश्व गुरू था, लेकिन गलत शिक्षा नीति के चलते अपना देश पिछड़ता चला गया लेकिन आज देश में फिर से शिक्षा नीति में सुधार के साथ-साथ फिट इंडिया जैसे मुहिम का शुभारंभ हुआ है, जिसका सुखद परिणाम मिलेगा और इससे जल्द ही हम फिर से विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है। विशेष अतिथि शंकरलाल देवांगन ने फिट इंडिया और नई शिक्षा नीति को देश के चहुमुर्खी विकास के लिए नींव का पत्थर बताया।

इन्होंने भी व्यक्त किए विचार

शिक्षा जगत से जुड़ी नेहा सोनी, सुरेखा जवादे, नविता शर्मा, शशि दुबे, ज्योति द्विवेदी, बलबीर सहगल, शिवाजी सिंह, सांसद प्रतिनिधि प्रमोद सिंह ने भी अपने विचार रखे। कवयित्री प्राजक्ता डॉन गोधा ने अखंड भारत का अखंड अस्तित्व पंक्तियों के द्वारा इतिहास की पुस्तकों में बदलाव करने का सुझाव दिया। बाल कवयित्री प्रेक्षा डॉन गोधा “परी” ने ‘कर योग हो निरोग’ कविता से सबका मन मोह लिया। समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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