व्यंग्य : “हर दिल है सलीम, हर दीवार अनारकली”

“मुहब्बत हमने माना जिंदगी बर्बाद कर देती है,
ये क्या कम है कि मर जाने पर दुनिया याद करती है”

इन्दु सिन्हा “इन्दु”

मुगले आज़म के इस प्रसिद्ध डायलॉग को ज्यादातर प्रेमियों ने इस तरह से अपने जीवन में उतार लिया है प्रेम के लिए जान देने में पीछे बिल्कुल भी नही हटते। यह प्रसिद्ध डायलॉग उनके जीवन का सर्वश्रेष्ठ डायलॉग है।जब से अनारकली दीवार में चुनवायी गयी है मिट्टी के कण कण में प्रेम की खुशबू महकती है और प्रेमियों की कौम बावरी हो जाती है इसी बावरेपन में आकर प्रसिद्ध सुसाइड पाइंट खोजती है।सुसाइड पाइंट भी खुश रहते है धन्यवाद देते है प्रेमियो को इसलिए वो प्रसिद्ध हुए।


वैसे देखा जाए तो सितम कम नही होते प्रेमियो पर ,प्रेम को प्रदर्शित करने का फरवरी माह ही क्यों? दूसरा महीना भी हो सकता था अप्रेल, मई,जून ,सितम्बर कुछ भी।लेकिन फरवरी में वेलेंटाइन डे आता है, फरवरी में ही स्कूलों कॉलेजो की एग्जाम होती है तो बताइए क्या करे बेचारे प्रेमी ? लोग प्रेम करे या एग्जाम की तैयारिया करे? है ना नाइंसाफी प्रेमियों के साथ।
अनारकली ओर सलीम की मोहब्बत के बीच किसी वटवृक्ष के समान फैल गए है ऐसे वटवृक्ष जिसकी जड़े इस जेट युग मे काटे नही कटती है।।देश के, समाज के जागरूक पहरेदार जिनपर समाज को शिक्षित करने का जागरूक करने का दायित्व है |वो भी इस मोहब्बत के दुश्मनों को जगा नही पाये। नतीजन यदि समाज के दिल के अंदर उतर देखे तो बहुत सी अनारकलयाँ दीवारों में चुनवा दी जाती है। पता ही नही चलता है। किस किस दीवारों में अनारकली चुनवा दी गयी है।
आज भी इस आधुनिक युग मे अकबरो की संख्या कम नही हुई है ,पता ही नही चलता किस किस घर मे अकबर है।एक ऐसा अकबर जो हमेशा से अनारकली को सलीम पर तलवार तानकर सिर पर खड़ा रहता है तैयार।


अनारकली एक ही मशहुर हुई थी वो अनारकली जिसे फिल्मी पर्दे पर साकार किया था बेपनाह सुंदरता की देवी मधुबाला ने ओर ट्रैजेडी किंग दिलीप कुमार ने। इश्क के अमर प्रेमी सलीम की भूमिका में थे। ऐसी बेमिसाल प्रेम कहानी देखने को नही मिलती है।क्योंकि एक ही अनारकली एक ही सलीम।


वर्तमान में दोनों रूप देखने को मिलते है कही कही प्रेम के दुश्मन अकबर द्वारा अनारकली दीवार में चुनवा दी जाती है तो कही कही सलीम अनारकली दोनों को ही चुनवा दिया जाता है,खोखले आदर्शो ओर झूठी शान के लिए। फिर साहब पता ही नही चलता अनारकली का,थोड़े दिन खाना पूर्ति होती है कानून,थाने ओर मीडिया पर चर्चा चलती है फिर ठंडे बस्ते में ठंडी हो जाती है | अनारकली सलीम की कहानी। मशहूर तो हो ही नही सकती ऐसी अनारकलियाँ और सलीम-।


दूसरे रूप में अनारकलियों की भीड़ भी बहुत है सलीमो की संख्या भी बढ़ रही। फेसबुकिये प्रेमियों की लंबी कतारें है जो हर एक लड़की को महिला को अनारकली समझ कर खुद को सलीम समझ बैठते है।
कभी कभी ऐसे प्रेमियो की कहानी थोड़ी लम्बी हो जाती है मैसेजेस से होती हुई मुलाकात पर आ जाती है बिस्तर पर खत्म होकर हमेशा के लिए तोड़ दी जाती है।ऐसी अनारकलियाँ ओर सलीम फिर नये के तलाश में भटकते है।कभी कभी ठगी के शिकार भी बनते है।लेकिन आदत के मजबूर होते है।अमर होने से रहे उस अमर कहानी की तरह।


चौदह फरवरी को ऐसे फेसबुकिये सलीम ओर अनारकली  इंतजार करते है गुलाब के फूलों के लिए।इनको मुगले आज़म का प्रसिद्ध सीन हमेशा ही ज़ेहन में रहता है सलीम गुलाब के फूल से अनारकली के गुलाबी चेहरे को ज्यादा गुलाबी बनाते है। फिल्मी जगत के प्रसिद्ध लव सीन में से एक है वो सीन।लेकिन साहब यहाँ भी मोहब्बत के दुश्मन तैयार है पार्क में,होटलो में, कॉफी हाउस में नजरे रखने के लिए।बेचारे कहाँ जाए।
ये दुश्मन ऐसे होते है जो वर्ष भर इंतजार करते है वेलेंटाइन डे का।कई अनारकलियो और सलीम को पकड़ते भी है।लेकिन फिर भी प्रेम जो शाश्वत है,अमर है उसको खत्म नही कर पाते है ये दुश्मन भी।
वर्तमान में तो अनारकलियो के दुश्मन घरवाले भी बने हुए हैं कहने को आधुनिक युग के शिक्षित लोग है, पर मानसिकता सड़ी गली पुरानी है, जंग लगी हुईं आदम के जमाने की | बड़े बड़े बंगलो,बड़ी बड़ी गाड़ियों ओर फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने से कोई शिक्षित कैसे बन सकता है ? जब जेहन में कूड़े करकट का ढेर हो।नतीजन अनारकलियो को बाहर आने से पहले खत्म कर दिया जाता है | जिससे कि अनारकली ना बने। इसलिए जनाब, ज्यादातर हर दीवार धड़कती है, क्योंकि अनारकलियाँ दीवारों में चुनवाई गयी  है।

⚫ इन्दु सिन्हा “इन्दु” रतलाम

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