वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे जिंदगी की दोहरी परीक्षा : आधी रात को हो गई पिता की मौत, बेटे की थी सुबह परीक्षा, बेटे ने किए दोनों फर्ज अदा, हो रही सकारात्मक निर्णय की सराहना -

जिंदगी की दोहरी परीक्षा : आधी रात को हो गई पिता की मौत, बेटे की थी सुबह परीक्षा, बेटे ने किए दोनों फर्ज अदा, हो रही सकारात्मक निर्णय की सराहना

⚫ पिता के सबक के चलते पहले दी परीक्षा

⚫ फिर पिता का किया अंतिम संस्कार

⚫ पिता थे नगर निगम में सहायक राजस्व निरीक्षक

हरमुद्दा
देवास, 2 मार्च। एक छात्र और बेटे को जिंदगी में दोहरी परीक्षा का सामना करना पड़ा। गुरुवार सुबह हिंदी का प्रश्न पत्र था और रात को पिता का हार्ट अटैक से निधन हो गया। पिता के सबक के चलते बेटे ने सुबह प्रश्न पत्र दिया। उसके पश्चात घर आया। पिता की अर्थी को कंधा देकर मुक्तिधाम पहुंचा, जहां पर अंतिम संस्कार किया। जिंदगी की दोहरी परीक्षा में छात्र द्वारा लिए गए सकारात्मक निर्णय की सर्वत्र सराहना हो रही है।

पिता के मुंह में गंगाजल देते हुए पुत्र देवेंद्र

यह हुआ आवास नगर निवासी सोलंकी परिवार में। नगर निगम में सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ जगदीश सोलंकी को बुधवार की रात 12 बजे सीने में दर्द हुआ। बेटा देवेंद्र अंदर पढ़ाई कर रहा था, तभी वह बाहर पिता के पास आया। पिता ने कहा तबीयत ठीक नहीं लग रही। अस्पताल ले जाने की बात चल ही रही थी कि सोलंकी ने हरकत करना बंद कर दी। अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।

जगदीश सोलंकी

लिया सकारात्मक निर्णय

बेटा देवेंद्र इस कशमकश में था कि आखिर वह क्या करें? लेकिन पिता का सबक याद आया कि जिंदगी में इंतिहान भी जरूरी है। चाहे कितनी भी विकट स्थिति हो, परिस्थिति हो। पिता के सबक को याद करते हुए सकारात्मक निर्णय लिया। गुरुवार सुबह अपने दोस्त के साथ हिंदी का प्रश्न पत्र देने गया। उसका प्रश्न पत्र भी अच्छा हुआ। हालांकि परीक्षा समाप्त होने के 1 घंटे पहले ही वह आ गया था। परीक्षा केंद्र अध्यक्ष ने भी समय की गंभीरता को देखते हुए उसे 1 घंटे पहले जाने की अनुमति दी। घर आकर पिता की अर्थी को कंधा दिया और मुक्तिधाम पहुंचाया, जहां अंतिम संस्कार किया।

चार बेटियों की हो गई शादी

पुत्र देवेंद्र सोलंकी

श्री सोलंकी की चार बेटियां और एक बेटा है। चारों बेटियों का विवाह हो चुका है। देवेंद्र माउंट हायर सेकेंडरी स्कूल में बारहवीं में साइंस मैथ का छात्र है। पिता जगदीश की अभिलाषा थी कि उसका बेटा सिविल सर्विस में या आर्मी में जाए। परिजनों, बहनों और दोस्तों को देवेंद्र पर नाज है कि उसने ऐसी विकट स्थिति में भी परीक्षा को टाला नहीं और हिम्मत करके उसने परीक्षा दी। वरना उसका साल बिगड़ता।

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