फैसला : ट्रेन में जहर खुरानी करने वाले आरोपी को 7 वर्ष के कारावास की सजा
⚫ दर्शन करने के बाद घर जा रहे थे तब रतलाम में माता-पिता के साथ चाय नाश्ते में कर दी हरकत
⚫ माता जी के गहने गायब थे तो पिताजी लापता
हरमुद्दा
रतलाम, 8 अगस्त। माता-पिता दर्शन करने के लिए उज्जैन गए थे। लौटते समय एक व्यक्ति ने रतलाम में चाय नाश्ता करवाई, दस्त लगने पर गोली खिलाई, जिससे बेहोश हो गए। अजमेर में नींद खुली तो माताजी के गहने गायब थे और पिताजी लापता। बेटे द्वारा रिपोर्ट दर्ज करने के बाद आरोपी की खोजबीन की गई और चालान न्यायालय में पेश किया गया। न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने आरोपी को 7 साल की सजा सुनाई। अर्थदंड से दंडित किया।
अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने हरमुद्दा को जानकारी देते हुए बताया कि 5 नवंबर 2015 को फरियादी रामलाल रेगर द्वारा आरक्षी केंद्र जीआरपी चित्तौड़गढ़ पर एक आवेदन प्रस्तुत किया था कि उसके माता-पिता दर्शन करने के लिए उज्जैन गए थे। 4 नवंबर 2015 को अजमेर से उसके मोबाइल पर सूचना आई थी कि उसकी माता अर्ध चेतना अवस्था में है। पिताजी बाद में घर आए थे। पिताजी बेहोशी की हालत में थे। पूछताछ करने पर पर माता-पिता ने बताया था कि उज्जैन से वापस आते समय स्टेशन पर एक व्यक्ति 50 -55 साल का सफारी सूट पहने हुए उनके पास आया और बोला आप राजस्थान के लगते हो। इस तरह से वह व्यक्ति बातचीत करते हुए उनसे भी मिल गया और वह बोला कि उसे भी उसी ट्रेन से जाना है फिर उन्होंने हैदराबाद अजमेर ट्रेन का टिकट लेकर जनरल कोच में जगह नहीं होने और किसी से बात कर कर आया।
माता पिता को ले गया स्लीपर कोच में
फरियादी के माता-पिता को भी स्लीपर कोच S-7 में ले गया । बातचीत करते हुए रतलाम आ गए थे तब वो काफी घुलमिल गया। रेलवे स्टेशन रतलाम पर पिताजी को चाय नाश्ता करवाने के लिए प्लेटफार्म पर ले गया और दो प्लेट पोहे लाकर दिए और खुद भी नाश्ता किया। पिताजी ने पोहे कड़वे होने पर फेंकने की बात कही तो उस व्यक्ति ने कहा कि आप हिंदू हो अन्न का अनादर नहीं करते इस पर पिताजी ने पूरे पोहे खा लिया और फिर वह चाय लेकर आया और पिताजी और माताजी को चाय पिलाई तो खुद ने भी चाय पी उसके बाद माताजी पिताजी को चक्कर आने लगे थे। तब तक गाड़ी रवाना हो गई थी पिताजी को दस्त लग गए थे तो उस व्यक्ति ने माताजी पिताजी को दो-दो टेबलेट दी जो उन्हें कड़वी लगी तो उसने पीने के लिए पानी दिया और दोनों को सुला दिया उसके बाद उसके माता-पिता को कोई कुछ भी पता नहीं चला।
जब खुली आंख तो पिताजी नहीं थे माता जी के गहने थे गायब
अजमेर में माता जी की आंख खुली तो पिताजी नहीं थे और माता के शरीर पर पहने गहने सोने की झुमकी एक सोने की अंगूठी 1, चांदी की पाजेब, 2200 रुपये नगद तथा पिताजी को होश आने पर उनके गले में पहने ढाई तोले सोने की चैन एवं नगद 1600 रुपए गायब थे, जो माता-पिता को व्यक्ति मिला था उसने अपना नाम जुगल किशोर बताया था।
पुलिस ने की खोजबीन आरोपी को किया गिरफ्तार
फरियादी की रिपोर्ट चित्तौड़ जीआरपी थाना द्वारा धारा 328 279 भादवी में जीरो पर दर्ज कर असल कायमी के लिए जीआरपी थाना रतलाम को भेजी थी जहां पर अनुसंधान में आरोपी बाबू खान को गिरफ्तार किया गया था और अनुसंधान पूर्ण कर चलान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।
तर्क से सहमत होकर सुनाई सजा
अभियोजन साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुए तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने आरोपी बाबू खान को धारा 397 भादवी में दोषमुक्त किया गया तथा धारा 328 व 394 में दोषी पाते हुए 7-7 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 500 -500 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है। अभियोजन की ओर से पैरवी अतिरिक्त लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान द्वारा की गई