सामाजिक सरोकार : एलुमनी परिवार ने मनाया संविधान दिवस, संविधान अमर रहे, भारत माता की जय के लगाए नारे
⚫ जनहितेषी नियम और कानून को समाहित कर बनाया संविधान : नागदिवे
⚫ भारतवासी के लिए गर्व का दिन 26 नवंबर : चौहान
⚫ सामूहिक रूप से किया संविधान की उद्देशिका का वाचन
हरमुद्दा
इंदौर, 26 नवंबर। संविधान दिवस के अवसर पर गुजराती आर्ट्स & लॉ कॉलेज एलुमनी द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें केंद्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न अधिकारी सीईओ पंचायत एवं कॉलेज एलुमनी ग्रुप के जागरूक सदस्य शामिल हुए। संविधान अमर रहे, भारत माता की जय के नारे लगाए।
एलुमनी संयोजक प्रवीण नागदिवे ने कहा कि भारत के संविधान निर्माण में दुनिया भर के जनहितैषी नियम कानूनों का अध्ययन कर उन्हें भारतीय परिवेश के अनुसार ढाल कर भारत के संविधान को बनाने में सहायता ली गई है। डॉ. बी. आर. आंबेडकर के अथक प्रयासों से लगभग 3 वर्ष में 26 नवंबर 1949 को दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान बनकर तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया ।
भारतवासी के लिए गर्व का दिन 26 नवंबर
सामाजिक कार्यकर्ता देवेंद्र चौहान ने कहा कि 26 नवंबर का दिन हर भारतवासी के लिए गर्व का दिन है। इस दिन भारत में ऐसी किताब बनकर तैयार हुई जिसने हर भारतीय को समानता का अधिकार दिया, हर भारतीय को खुलकर जीने का अधिकार दिया, हर भारतीय को अपने फैसले खुद लेने का अधिकार दिया है।
सामूहिक रूप से किया संविधान की उद्देशिका का वाचन
प्रशांत इंदूरकर ने अपने उद्बोधन में संविधान की विशेषताओं का उल्लेख किया वहीं संविधान अमर रहे, भारत माता की जय के नारे लगाए। इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रारम्भ में सामूहिक रूप से संविधान की उद्देशिका का वाचन भी किया गया।
यह थे मौजूद
इस अवसर पर गुजराती कॉलेज एलुमनी के मनीषा नागदिवे, सुनील गुप्ता, उमाशंकर ठाकरे, गोपाल बोरासी, सामाजिक कार्यकर्ता देवेंद्र चौहान, जनपद पंचायत सीईओ बी एल मालवीय, शरद देवरे, संजय सिसोदिया, मीनू मालवीय, के एल ओसवाल आदि भी उपस्थित थे। आभार मीनू मालवीय ने माना।