कुछ ऐसी दास्तानों से रूबरू हुए युवा : कोई से परिवार से विवाद कर घर छोड़ आया तो कोई काम की तलाश में, अब ना घर है, ना ठिकाना
युवाओं की “नई पहचान” बन रही जरूरतमंदो के लिए उम्मीद की किरण
परिवार से बिछड़े लोगों को मिलाने घर वापसी शुरू किया अभियान
हरमुद्दा
रतलाम, 6 अक्टूबर। कोई से परिवार से विवाद कर घर छोड़ आया तो कोई काम की तलाश में। कोई कर्ज़ से परेशान तो कोई तो कई बीमारियों का ईलाज करवाने आए लेकिन रहने की समुचित व्यवस्था नहीं होने से फुटपाथ पर रहने को मजबूर। कुछ ऐसी दास्तानो से रूबरू हुए युवा सामाजिक कार्यकर्ता।
सृष्टि समाजसेवा समिति की कार्यकारी अध्यक्ष दिव्या श्रीवास्तव एवं साँई राज ग्रुप के युवाओं ने हरमुद्दा को बताया कि कुछ माह पहले शुरू किए गए “नई पहचान अभियान” के बाद से हमें कई सूचनाएं मिल रही है जैसे परिवार के लोगो ने बुजुर्गो को प्रताड़ित कर घर से निकाल दिया गया हो, अज्ञात व्यक्ति महिला पुरुष बीमारियों से पीड़ित होकर कॉलोनियों, फुटपाथों पर अचेत अवस्थाओं की सूचना मिलते ही उन्हें जिला अस्पताल पहुंचा कर असहायों के मदद की जा रही है।
समझाइश देकर परिजनों से मिलाने का जतन
इसके साथ कई व्यक्ति जो कि गार्डन, सड़क किनारे पर तनावग्रस्त अवस्था में दिख रहे है, उनके द्वारा जानकारी एकत्र की जा रही है एवं जिनके घर परिवार है परीजनो के फ़ोन नम्बर लेकर बात करवाई जा रही हैं ताकि पारिवारिक झगड़े या अन्य कोई भी कारण से यहाँ वहा भटक रहे हैं उन्हें समझाइश देकर अपने परिवार के साथ हंसी खुशी जीवन यापन करें सके प्रयास किए जा रहे हैं जिसमें काफी सफलता भी मिल रही है।
जुटे हैं सेवा कार्य के अभियान में
इस सेवा कार्य अभियान में सृष्टि समाज सेवा समिति सदस्य सतीश टाक, पूजा व्यास, काजल टाक सांईराज ग्रुप के चिंटू भाई, महेंद्र जारवाल(वे.रे.),कुलदीप सिंह, सैनिक भूपेंद्र सिंह वाघेला सेवा कार्य में शामिल है। आपको कोई भी असहाय जरूरतमंद व्यक्ति दिखे हेल्पलाइन हैलो तेजस्वी 90094 70706 या आशीष सिंह 9340955534 के नंबर पर सूचित कर सकते हैं।
परिजनों ने दी आश्रम भिजवाने की सहमति
बंटी चौहान कई महीनों से मानव सेवा समिति ब्लड बैंक के बाहर बरामदे में रह रहे हैं। जो कि एक प्रकार की शारीरिक बीमारी से सन 2011 ग्रसित है। पूरा बदन कंपन करता है स्थिर नहीं रहता। परिजनों से बात करने पर उन्होंने आश्रम भिजवाने के लिए सहमति दी। प्रयास किए जा रहे है जिससे उन्हें वहां रहने एवं समुचित इलाज की सुविधा मिल सके।
भावुक होकर चला गया घर भोपाल
ऐसा भी क्या भोपाल के मुकेश वर्मा 42 वर्ष घर के परिजनों के तानों से तंग आकर कालिका माता उद्यान में रह रहे थे। टीम को बताया कि करीब डेढ़ वर्ष से यही रह कर मजदूरी कर रहे हैं। घर मे बड़े भाई है जो कि भोपाल में होटल मैनेजर है। बहुत समय से घरवालों से बात भी नहीं हो पाई। कार्यकर्ताओं ने नंबर लेकर अपने फोन से बात करवाई तो पता चला मुकेश के तनाव में माता का निधन हो गया यह सुन व्यक्ति भावुक हुआ और भोपाल जाने की बात कहकर युवाओं को धन्यवाद कहा
25 साल से भिक्षावृत्ति
गुलशन शाह लगभग 45 वर्ष नामक व्यक्ति ने कहा कि 25 सालों से भिक्षावृति कर रहे हैं। अगर आप छोटी दुकान डलवा दें तो मैं अपना गुजारा कर लूंगा
खुले आसमान के नीचे जीवन यापन
इसी प्रकार से उज्जैन, छत्तीसगढ़, इंदौर सहित विभिन्न जिलों के व्यक्ति किसी न किसी कारण वजह से अपना जीवन खुले आसमान के नीचे यापन कर रहे हैं।