आंखों देखी : मुख्यमंत्री का आगमन, रतलाम के लिए इन्वेस्ट कितना होगा यह तो नहीं पता मगर बहुत हुआ वेस्ट

आंखों देखी : मुख्यमंत्री का आगमन, रतलाम के लिए इन्वेस्ट कितना होगा यह तो नहीं पता मगर बहुत हुआ वेस्ट

शहर का खेल मैदान बड़े-बड़े बौल्डर और गिट्टी से सराबोर

⚫ ऐन वक्त तक चलता रहा काम

⚫ शामिल हुई स्वयं सहायता समूह सहित अन्य से जुड़ी महिलाएं

हरमुद्दा
रतलाम, 27 जून। राइस कॉन्क्लेव आयोजन को लेकर काफी समय से तैयारी की जा रही थी मगर मुख्यमंत्री के आगमन के पहले तक व्यवस्थाओं को जुटानेआलम रहा। शहर के औद्योगिक विकास में कितना इन्वेस्ट होगा यह तो बाद में पता चलेगा मगर शहर का खेल मैदान जरूर वेस्ट कर दिया है। बड़े-बड़े बोल्डर और गिट्टी से सराबोर हो गया।

यह बात समझ से परे है कि आखिर राइज कॉन्क्लेव के लिए शहर के एकमात्र खेल मैदान का चयन क्यों किया गया? प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वयं खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल चेतना मेला का आयोजन करते हैं, उस मैदान का यह हश्र होगा, समझ से परे हैं। अंदर का पूरा मैदान मोरम, गिट्टी और बौल्डरों से पटा पड़ा है। अब इसको सुधारने में कितना व्यक्त लगेगा या सुधरेगा कि या नहीं यह कोई नहीं बता सकता मगर यह बात सही है कि सैकड़ो खेल प्रेमियों को अभ्यास करने में असुविधा जरूर होगी। 


जब पता है की बारिश का मौसम है कीचड़ होगा तो व्यवस्थाएं पहले से करना चाहिए थी, मगर जिम्मेदार तो जिम्मेदार ठहरे, उन्हें क्या लेना देना। ऐन वक्त तक गिट्टी और मोरम बिछाई जाती रही और आयोजन स्थल पर जाने वाले लोग कीचड़ में होकर जाने को विवश होते रहे। आयोजन स्थल पर स्वयं सहायता समूह सहित अन्य संस्थाओं से जुड़ी महिलाएं भी काफी संख्या में मौजूद रही। इससे ऐसा लग रह रहा था की भीड़ जुटाने में यहां पर भी प्रशासन आगे रहा।

आयोजन तो ही केवल कार्ड धारी के लिए

चाहे बीजेपी के समर्थक हो या खिलाड़ी हो, व्यापारी पढ़े लिखे नौकरी पैसा सभी दबी जबान में सभी यही कहते नजर आखिर रतलाम शहर में ही इस आयोजन को करने का उद्देश्य क्या था? यह समझ से परे है। निवेश क्षेत्र में भी यह आयोजन हो सकता था वहां पर भी सभी सुविधाएं जुटाई जा सकती थी क्योंकि शहरवासी का तो इस आयोजन से कोई लेना देना नहीं है। नहीं उनको बुलाया गया है। आयोजन स्थल पर वह ही जाएंगे जिनके पास कार्ड है। यानी कि कार्ड धारी के लिए आयोजन है तो फिर पूरे शहर को परेशान करने की क्या आवश्यकता थी?

मैदान पर है एक-एक फीट कीचड़

और खेल मैदान की सूरत बिगड़ने की क्या जरूरत थी। पहले ही शहर का सत्यानाश करने पर अधिकारी जनप्रतिनिधि तुले हुए हैं किसी बात का कोई असर नहीं हो रहा है। सड़कों का और जन सुविधाओं का सत्यानाश तो जग जाहिर है ही।

अव्यवस्था को बयां करते चित्र

नेहरू स्टेडियम मैदान गिट्टी और बोल्डर से पट

...तो नहीं मानते जिम्मेदार

पेट्रोल पंप वाले डीजल के साथ जल गाड़ियों में भर रहे हैं और जिला प्रशासन बेपरवाह बना हुआ है। यह तो मुख्यमंत्री के काफिले की गाड़ियों का साथ हुआ। यदि ऐसी घटनाएं आमजन के साथ होती तो कोई ध्यान नहीं दिया जाता। उसमें गलती वाहन मालिक की बताई जाती कि तुम्हारे टैंक में ही बारिश से पानी भरा है।