विचार सरोकार : एक दुल्हन, न लाल जोड़े का सम्मान कर रही है, न सात फेरों का

राजा के अंत और सोनम के इंतकाम का अभी पूरा सच सामने आना बाकी। लगता है चरित्र बल में कमजोर थी ये सोनम। ये सोनम कितनी गहरे तक अमानुष होगी। क्या इसके मां बाप नहीं जानते थे कि बेटी इतनी पहुंची हुई हस्ती है। किसी परिवार के दिल के टुकड़े को मारने की क्या जरूरत थी? 

विचार सरोकार : एक दुल्हन, न लाल जोड़े का सम्मान कर रही है, न सात फेरों का

त्रिभुवनेश भारद्वाज

हत्यारी दुल्हन हत्या करने वाले प्रेमी राज कुशवाह और दो अन्य को अपने साथ लेकर चली थी।हम अपने परिवारों को नहीं बचा पाए रहे हैं। यदि किसी दूसरे से प्रेम सम्बन्ध था तो इस बेचारे राजा से शादी क्यों की? शादी कर भी ली किसी के दबाव में तो तलाक ले लेती। आजकल तो इस तरह की बेशर्मी आम बात हो गई है लेकिन हत्या जैसा जघन्य अपराध क्यों किया? 

हम सनातन धर्म के लोग प्रेम, करुणा और स्नेह के धनी कहे जाते हैं। हमारे साथ दो दिन रहने वाले कुत्ते बिल्लियों तक से हमें लगाव हो जाता है। घर के बाहर रोटी खाने वाले कुत्ते को अपना द्वारपाल मान लेते हैं और यदि उसे लावारिस मानकर नगर निगम वाले पकड़ने आए तो उसे बचाने के लिए खड़े हो जाते हैं। ये सोनम कितनी गहरे तक अमानुष होगी। क्या इसके मां बाप नहीं जानते थे कि बेटी इतनी पहुंची हुई हस्ती है। किसी परिवार के दिल के टुकड़े को मारने की क्या जरूरत थी? 

एक दुल्हन, न लाल जोड़े का सम्मान कर रही है, न सात फेरों का, 

एक दुल्हन, न लाल जोड़े का सम्मान कर रही है। न सात फेरों का, न एक रात साथ गुजारने पर हुए तनिक ही वासनात्मक प्रेम का लिहाज कर रही है। हम पाकीजा में एक तवायफ की वफ़ा के कसीदें पढ़ते हैं जो अपने प्रेमी को धोखे में रखकर विवाह करना नहीं चाहती बल्कि उसकी खुशहहाल जिंदगी के लिए उससे दूर चले जाने का फैसला करती है। क्या एक तवायफ के मुकाबले चरित्र बल में कमजोर थी ये सोनम।

राजा के अंत और सोनम के इंतकाम का अभी पूरा सच सामने आना बाकी

राजा के अंत और सोनम के इंतकाम का अभी पूरा सच सामने आना बाकी है लेकिन विचारणीय है हमारी सामाजिकता पर इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है हनीमून का पश्चिमी बुखार। क्या हम अपने समाज को वापस उसकी मर्यादा और सीमा में खड़ा नहीं कर सकते? गम्भीरता से विचार की जरूरत है कि अगर इस विवाह में "हनीमून" एपिसोड को परिवार वाले डिलीट कर देते तो से शायद राजा की जान ईद के बकरे की तरह नहीं जाती।

तो होना चाहिए ऐसा

एक सवाल सोनम के माता पिता से "क्या वो अपनी बेटी की कारगुजारियां नहीं जानते थे? क्या उन्हें पता नहीं था कि उनकी बेटी के लक्षण ठीक नहीं? क्या उन्हें पता नहीं था कि उनकी बेटी का राजा कुशवाह से प्रेम सम्बन्ध चल रहा है? यदि वो जानते थे ये सब कुछ तो सोनम के माता पिता और भाई भी हत्या के सहभागी मानकर मुकदमा चलना चाहिए।

त्रिभुवनेश भारद्वाज