साहित्य सरोकार : जीवन को महसूस करती कविताएं भीतर से आती हैं

साहित्य सरोकार : जीवन को महसूस करती कविताएं भीतर से आती हैं

वरिष्ठ रचनाकार डॉ. गीता दुबे ने कहा 

⚫ जनवादी लेखक संघ का पुस्तक चर्चा कार्यक्रम

हरमुद्दा
रतलाम, 28 सितंबर। आज संवेदनाएं कुचली जा रही हैं , रिश्ते खोखले हो रहे हैं और स्त्री को केवल एक वस्तु मान लिया गया है । स्त्री प्रेम, करुणा ममता और समर्पण का मूर्त रूप है । आज की भोगवादी और विकृत सोच ने उसे उसके ही अस्तित्व से काटने की कोशिश की है। यह स्थिति समूची मानवता के लिए एक चुनौती है । मेरी कविताएं एक स्त्री बनकर जीवन को महसूस करती कविताएं हैं।


यह विचार जनवादी लेखक संघ, रतलाम द्वारा आयोजित पुस्तक चर्चा कार्यक्रम के अंतर्गत वरिष्ठ रचनाकार डॉ. गीता दुबे ने व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि मेरी पुस्तक 'देह भर ' स्त्रियों के जीवन की पड़ताल करती है और पुरुषवादी मानसिकता में चुनौती बनकर खड़ी होती है।

कोई भी रचना दो नावों पर सवार होकर नहीं लिखी जाती

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि एवं अनुवादक प्रो. रतन चौहान ने कहा कि रचनाकार के भीतर का संघर्ष उसे बाहर से मुकाबला करने की ताक़त देता है । एक रचनाकार के सामने बहुत सी परिस्थितियों मौजूद होती हैं मगर उसे ख़ुद तय करना होता है कि वह अपनी रचना को किसके लिए लिख रहा है। कोई भी रचना दो नावों पर सवार होकर नहीं लिखी जाती। इसके लिए स्पष्ट दृष्टि, सोच और वैचारिक दृढ़ता आवश्यक होती है।

दोनों पक्षों को सामने लाना बेहतर

पुस्तक पर विचार व्यक्त करते हुए सिद्धीक़ रतलामी ने कहा कि किसी भी रचना का पुस्तक में प्रकाशित होना, उसकी प्रामाणिकता मानी जाती है । इसलिए रचना की अच्छाई और बुराई , दोनों पक्षों पर ध्यान देकर उसे सबके सामने लाना बेहतर होता है। दुष्यंत कुमार व्यास ने पौराणिक संदर्भों के माध्यम से स्त्री की स्थिति और वर्तमान परिपेक्ष में स्त्री के महत्व को रेखांकित किया। संजय परसाई 'सरल' ने समीक्षा करते हुए कहा कि ये कविताएं हमारे आसपास की कविताएं प्रतीत होती हैं । इनमें जीवन धड़कता दिखाई देता है। अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने कविताओं का विश्लेषण करते हुए इन्हें महत्वपूर्ण निरूपित किया।

कविताएं प्रस्तुत की गई

इस अवसर पर रचनाकार डॉ. गीता दुबे ने अपनी प्रमुख कविताओं बेटी जब भी घर आती है , पिता तुम छत्रछाया से बने रहे , अनुत्तरित यक्ष प्रश्न सहित अन्य कविताओं का पाठ किया। संग्रह से कविताओं का पाठ अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर सहित उपस्थित सुधिजनों ने किया।

इनकी मौजूदगी रही



कार्यक्रम में वरिष्ठ रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्र, डा. जी पी डबकरा, श्याम माहेश्वरी, डॉ. स्वर्णलता ठन्ना, डॉ. एन.के. शाह, श्याम सुंदर भाटी , हरिशंकर भटनागर, कला डामोर , जितेंद्र सिंह पथिक , हीरालाल खराड़ी ,  आई.एल. पुरोहित , कीर्ति शर्मा, चरणसिंह जाधव, विनोद झालानी, गीता राठौर, मांगीलाल नागावत, सुभाष यादव, गौरीशंकर खींची, एस.के.मिश्र, निसार पठान, धनंजय तबकड़े,अनीस ख़ान सहित साहित्य प्रेमी मौजूद थे । संचालन आशीष दशोत्तर ने किया तथा आभार सचिव सिद्धीक़ रतलामी ने व्यक्त किया।

भगतसिंह का किया स्मरण

शहीदे आज़म भगत सिंह के जन्म दिवस पर भगत सिंह पुस्तकालय में आयोजित इस समारोह में शहीद ए आज़म के चित्र पर माल्यार्पण कर उनका स्मरण किया।

प्रो.चौहान पर केन्द्रित पुस्तक का विमोचन 12 अक्टूबर को

वरिष्ठ कवि एवं अनुवादक प्रो. रतन चौहान के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित और आशीष दशोत्तर द्वारा संपादित पुस्तक ' उजली सुबह की आस में ' का विमोचन 12 अक्टूबर को होगा। जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा सुधिजनों से उपस्थिति का आग्रह किया गया है।