धर्म संस्कृति : पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण, श्रीमद् भागवत सप्ताह पर नहीं असर, महालय श्राद्ध की शुरुआत 7 सितंबर से

धर्म संस्कृति : पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण, श्रीमद् भागवत सप्ताह पर नहीं असर, महालय श्राद्ध की शुरुआत 7 सितंबर से

जलझूलनी एकादशी 3 सितंबर को

⚫ अनंत चतुर्दशी एवं श्री गणेश प्रतिमा विसर्जन समारोह 6 सितंबर को

⚫ 3 घंटे 24 मिनट रहेगा ग्रहण काल

हरमुद्दा
रतलाम, 30 अगस्त। भाद्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को 3 घंटे 24 मिनट का चंद्र ग्रहण रहेगा। ग्रहण का असर श्रीमद् भागवत सप्ताह पर नहीं होगा। जलझूलनी एकादशी 3 सितंबर को मनाई जाएगी वहीं अनंत चतुर्दशी और श्री गणेश प्रतिमा विसर्जन समारोह 6 सितंबर को आयोजित होगा। 

ज्योर्तिविद दुर्गाशंकर ओझा ने हरमुद्दा से चर्चा में बताया कि 7 सितंबर भाद्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण होगा। रात को 9 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होगा और 1 बजकर 26 मिनट पर मोक्ष होगा। 3 घंटे 24 मिनट का ग्रहण रहेगा। 

ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होगा वेद

ज्योर्तिविद ओझा ने बताया ग्रहण के लिए वेद होता है। बच्चों के जन्म पर सुवा होता है और किसी की मृत्यु पर सूतक होता है। 
इसलिए चन्द्र ग्रहण के लिए 9 घण्टे पहले "वेद" दोपहर 12:58 से शुरू होगा।  ग्रहण और उसके वेद का असर श्रीमद् भागवत सप्ताह पर नहीं होगा। भगवान के पट बंद हो जाएंगे। श्रीमद् भागवत कथा को स्पर्श नहीं कर सकेंगे। 12:00 बजे तक श्रीमद् भागवत सप्ताह का समापन कर वेद के पहले आरती पूजन कर सकते हैं।  श्रीमद् भागवत ग्रंथ की विदाई का चल समारोह सहित अन्य आयोजन अगले दिन गीता पाठ के साथ 8 सितंबर को कर सकते हैं। 

शास्त्रोक्त प्रमाण

ज्योर्तिविद ओझा ने बताया कि श्रीमद् भागवत सप्ताह की शुरुआत के लिए भागवत आचार्य के घर से पोती का चल समारोह मंदिर के लिए अष्टमी 31 अगस्त को निकाला जाएगा। 1 सितंबर नवमी से श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह प्रारंभ होगा। ज्ञातव्य है कि शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को भी नवमी तिथि से पूर्णिमा तिथि तक श्रीमद् भागवत सप्ताह श्रवण करवाई थी। श्रीमद् भागवत सप्ताह के तहत जल झूलनी एकादशी, वामन जयंती, श्री कृष्ण जन्म प्रसंग, कंस वध श्री अनंत नारायण पूजन व्रत सभी दिन तय हैं। इसका शास्त्रोक्त प्रमाण भी है। 

"अपां मध्ये गवां गोष्ठे विवाहे यज्ञमण्डपे। राहोर्दर्शनकालस्य सूतमं न विधीयते"

क्या करें क्या नहीं करें

ग्रहण के सूतक काल में भक्तों को धार्मिक मंत्रों का जाप करना चाहिए। भगवान का ध्यान करना चाहिए और भक्ति में लीन रहना चाहिए। घर की खाद्य सामग्री सुखी, बिस्तर, भोजन सामग्री और पानी में कुश या तुलसी दल (तुलसी के पत्ते) डालकर रखना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। 

महालय श्राद्ध 7 सितंबर से

पितृ के प्रति श्राद्ध भाव के उत्सव महालय श्राद्ध की शुरुआत 7 सितंबर पूर्णिमा से होगी। पितृ के पति तर्पण पूजन और ब्राह्मण भोजन 12:30 बजे के पहले कर सकते हैं। ताकि इसके पश्चात घर वाले भी वेद बैठने से पहले भोजन प्रसादी ग्रहण कर लें। 

⚫ 8 सितंबर को एकम का श्राद्ध

⚫ 9 सितंबर को द्वितीया का श्राद्ध

⚫ 10  सितंबर को तृतीया का श्राद्ध

⚫ 11  सितंबर को चतुर्थी का श्राद्ध

⚫ 12  सितंबर को पंचमी (कुँवारा पंचमी) का श्राद्ध

⚫ 13 सितंबर को षष्ठी (छठ) का श्राद्ध

⚫ 14 सितंबर को सप्तमी एवं अष्टमी का श्राद्ध

⚫ 15 सितंबर को सौभाग्य नवमी का श्राद्ध

⚫ 16 सितंबर को दशमी का श्राद्ध

⚫ 17 सितंबर को एकादशी का श्राद्ध

⚫ 18 सितंबर को द्वादशी का श्राद्ध

⚫ 19 सितंबर को त्रयोदशी का श्राद्ध

⚫ 20 सितंबर को चतुर्दशी का श्राद्ध

⚫ 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध।