विश्व भर के लोग हिंदुस्तानियों की चाय पीने की आदत से है वाकिफ, कुछ कहते हैं चाय की लत तो कुछ कहते हैं खुराक
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस हर साल 21 मई को मनाया जाता है। यह दिन चाय श्रमिकों की सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों, निष्पक्ष व्यापार और चाय के उत्पादन में सुधार के लिए एक स्थायी वातावरण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जाना जाता है। भारत में उत्पादित कुल चाय का लगभग 80 प्रतिशत घरेलू आबादी द्वारा उपभोग किया जाता है।

⚫ भारत ने ही दिलाया है चाय को दुनियाभर में हक
⚫ इस बार की थीम - चाय और निष्पक्ष व्यापार
⚫ चाय पीने के फायदे हैं तो नुकसान भी
⚫ चाय पीने से होता है गुस्सा काबू
दुनियाभर में एक बात बहुत सामान्य मानी जाती है वह है हिंदुस्तानियों की चाय पीने की आदत। कुछ इसे लत कहते हैं तो कुछ जिंदगी की खुराक। लेकिन शायद कम ही लोग जानते हैं कि मेहमान नवाजी की प्रतीक इस चाय का भी अपना एक विशेष दिन आता है। हम बात कर रहें हैं 21 मई - अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस यानी International Tea Day की। इस बार की थीम - चाय और निष्पक्ष व्यापार।
इस दिन चाय दुनियाभर में सुर्खियों में रहती है। लेकिन आपको शायद ही पता हो की करीब दो साल पहले तक दुनियाभर में 15 दिसबंर को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता था और अब 21 मई को मनाया जाने लगा है। हैरान हो गए ना कि आखिर माजरा क्या है? तो बता दें कि इसके पीछे भारत की अहम भूमिका है। क्योंकि भारत ने ही चाय को उसका हक दिलाया है।
भारत में रखा प्रस्ताव चाय दिवस मनाने का
दरअसल, दुनियाभर में चाय उत्पादक देश 2005 से 15 दिसंबर को हर साल अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाते रहे हैं। क्योंकि तब तक इसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से मान्यता नहीं दी गई थी। इसे लेकर भारत सरकार ने बड़ी पहल की और 2015 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के माध्यम से आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। जिसे स्वीकार कर लिया गया।
पहले होता था 15 दिसंबर को अब 21 में अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस
इसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 दिसंबर, 2019 को एक संकल्प प्रस्ताव पारित किया और 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस घोषित किया गया। चाय का उत्पादन तो कई देश करते हैं लेकिन भारत इस मामले में दूसरे पायदान पर है। लेकिन चाय के उपभोग के मामले में भारत पहले स्थान पर है। भारत में चाय की लोकप्रियता और स्वीकार्यता का अंदाजा इससे आसानी से लगाया जा सकता है कि दुनियाभर में सबसे अधिक कुल उत्पादन की लगभग 30 फीसदी चाय की खपत यहां होती है।
इस बार की थीम - चाय और निष्पक्ष व्यापार
संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाए जाने वाले अन्य दिवसों की तरह ही अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस की भी थीम निर्धारित होती है। इस बार 2021 के लिए चाय दिवस की थीम ‘चाय और निष्पक्ष व्यापार’ है। इस थीम को चुनने का मुख्य उद्देश्य है गरीब देशों में पैदा हो चाय का निष्पक्ष रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार हो, जिससे उनकी दुनियाभर के बाजार तक पहुंच बन सकें। इसका फायदा पाकर वे गरीबी से बाहर आ सकेंगे।
हर रूप में लाजवाब स्वाद और रंग
हालांकि, चाय के भी कई रूप हैं। हर रूप में इसका स्वाद भी अलग है। चाय हर व्यक्ति एक अलग स्वाद के साथ विशेष अंदाज में पीता है। अलग-अलग क्षेत्रों में चाय बनाने के तरीकों में भी भिन्नताएं हैं। कोरोना महामारी के दौर में कई ऐसे लोग जो चाय नहीं पीते थे, वे भी अब इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अदरक, लाँग और कालीमिर्च वाली चाय पीने लगे हैं। कुछ इसे इम्यूनिटी बूस्टर झिंगर टी कहते हैं कुछ मसाला टी। किसी को ब्लैक टी पसंद है तो किसी ग्रीन टी। हालांकि, अधिकांश लोग दूध-चीनी के साथ चायपत्ती को उबाल कर बनने वाली कड़क चाय पीते हैं। लेकिन इतना जरूर है कहेंगे कि चाय का किस्सा बड़ा रोचक है। अधिक चाय पीने से जहां शरीर को नुकसान होता है, वही एक फायदा यह भी है कि चाय पीने से गुस्सा काबू में होता है।
हजारों लोगों की आजीविका का आधार
दुनियाभर में चाय का सर्वाधिक उत्पादन एशिया महाद्वीप में होता है। जिसमें भारत, चीन, नेपाल, श्रीलंका और केन्या जैसे देश शामिल हैं। इन देशों में यह चाय पीना रोजाना की दिनचर्या से लेकर, समारोहों में भी सामान्य प्रचलन में है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह आसानी से और बेहद कम लागत में उपलब्ध है। पूर्वोत्तर भारत में भी हजारों लोग चाय बागानों में काम करते हैं। उनकी आजीविका चाय पर ही निर्भर है। इसके लिए एक सुचारू रूप से व्यवसाय प्रबंधन होना बेहद जरूरी है। ताकि, चाय उत्पादक और बागानों के गरीब लोगों अपने मेहनत की लागत निकल सकें।