विचार सरोकार : ईरान इजरायल युद्ध में अब निर्णायक मोड...
भारत पहले से तटस्थ है और पाकिस्तान गीदड़ भभकी दे कर अमेरिका की कठपुतली बना बैठा है, वह मुस्लिम देश और धर्म समर्थक नहीं,सिर्फ स्वार्थ परक देश है। 24 घंटे के अंदर खाड़ी का यह युद्ध बहुत बड़े रूप से निर्णायक स्थिति में दिखाई देगा।

⚫ डॉ. प्रदीपसिंह राव
पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व के युद्ध के प्रचंड तनाव ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है, 13 जून को ईरान ने अचानक 100 फाइटर विमानों से ईराक पर 200 ठिकानों पर 320 बम गिराए थे, तब से आज तक जंग जारी है। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध ने यूक्रेन रूस के युद्ध को भी फीका कर दिया है। जी 7 की बैठक को बीच में छोड़ कर राष्ट्रपति ट्रंप का अमेरिका लौटना रहस्यमयी था लेकिन उनका बयान आया कि ईरान बिना शर्त समर्पण कर दे अन्यथा बड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहे।
ईरान के सर्वोच्च नेता ख़मनेई अंडर ग्राउंड है या देश छोड़ कर गायब हैं और यहूदियों को धरती से नेस्तनाबूद कर देने की बात दोहरा रहे हैं।लेकिन ख़मनेई का जाना अब लगभग तय है क्यों कि अमेरिका ने साफ कर दिया है कि ईरान न माना तो सबसे विध्वंसक हमला करवा सकते हैं।उधर ईरान के पास 10,000 से अधिक बैलेस्टिक मिज़ाइल हैं जो लगातार इस्तेमाल कर के पूरे इजरायल को नष्ट कर सकती हैं। उसके पास हजारों परमाणु बम की क्षमता है, इसलिए खाड़ी का युद्ध चरम सीमा पर है।अमेरिका और इजरायल का सीधा कथन है कि ईरान परमाणु हथियार समाप्त करें।
ईरान के बंकर में परमाणु बम भारी मात्रा में संग्रहित है।इस बनकर को भेदने के लिए अमेरिका के पास ही ऐसे बम वर्षक हैं जो ईरान के 260मीटर गहरे, सबसे मजबूत " फॉर्डो "परमाणु अड्डे गुप्त बंकर को भी फाड़ देगा। अमेरिका का बी _2 विमान में 2700 किमी तक बिना रुके जाना आना और 3600फीट की गहराई तक 13000किग्रा तक वजन के बम को गिरने की क्षमता है।
ये विमान लोडेड है और दियोगे गार्सिया द्वीप पर जहाज पर तैनात है।इजरायल से 1000 किमी दूर ईरान हर क्षेत्र में ताकत रखता है,उसका भी एयर डिफेंस मजबूत है,लेकिन इजरायल का आयरन डोम ज्यादा शक्तिशाली है।लेकिन इजरायल के पास सबसे बड़ी ताकत अमेरिका और मित्र देश हैं जो यहूदियों क्रिश्चन के कवच हैं।
मध्य पूर्व के कई अरबी देश भी ईरान के साथ नहीं हैं क्यों कि वो ईरान को अपना नेता नहीं मानते।ईरान परमाणु वैपन समर्पित नहीं करेगा,,और उसे इस्तेमाल कर लेता है तो ये उस देश की बहुत बड़ी आत्महत्या होगी।अमेरिका यदि खुद इजरायल के साथ युद्ध में उतर गया तो ये युद्ध 5/6दिन में ही समाप्त हो जाएगा। इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम भी अब बहुत समय तक ईरानी शक्ति शाली मिज़ाइल बम झेल नहीं पाएगा। उसे अमेरिका,ब्रिटेन सहित अनेक देशों ने कवर कर लिया है।
24 घंटे में निर्णायक की स्थिति
चीन लगातार ईरान को मदद दे रहा है। पूरी दुनिया के सामने ईरान इजरायल जैसे छोटे देश के सामने घुटने नहीं टेक सकता। इसलिए वहां का सर्वोच्च नेता का सिंहासन पलटेगा और नई शर्तों पर कोई नया सरताज बैठेगा। यह अब तय है। भारत पहले से तटस्थ है और पाकिस्तान गीदड़ भभकी दे कर अमेरिका की कठपुतली बना बैठा है, वह मुस्लिम देश और धर्म समर्थक नहीं,सिर्फ स्वार्थ परक देश है। 24 घंटे के अंदर खाड़ी का यह युद्ध बहुत बड़े रूप से निर्णायक स्थिति में दिखाई देगा।
(यह लेखक के अपने विचार है। इसमें संपादक की सहमति जरूरी नहीं है)