हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी : जज की योग्यता पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट ने कहा, जज को कानूनी ज्ञान नहीं है, उन्हें ट्रेनिंग की जरूरत
⚫ 6वीं सिविल जज सीनियर डिवीजन की कार्यप्रणाली पर जताई नाराजगी
⚫ वसीयत में वारिस नहीं माना था जज ने
हरमुद्दा
ग्वालियर, 3 सितंबर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बुधवार को एक सिविल जज की योग्यता को लेकर तल्ख़ टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि जज को ट्रेनिंग की जरूरत है। यह पहला मौका है जब हाईकोर्ट ने किसी जज की योग्यता पर सवाल उठाए हैं। उच्च न्यायालय ने जज की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा जज को कानूनी ज्ञान नहीं है, उन्हें ट्रेनिंग की जरूरत है।

जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट ने सिविल जजों की योग्यता को लेकर अपने आदेश की कॉपी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार और ट्रेनिंग सेंटर के संचालक क़ो भेजने की बात अपने फैसले में लिखी है।
सिविल जज वर्षा भलावी की कार्य प्रणाली पर नाराजगी

एमपी हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने यह आदेश 6वीं सिविल जज सीनियर डिवीजन वर्षा भलावी की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि पूर्ण रूप से स्पष्ट है कि सिविल जज को कानून का ज्ञान नहीं है, उन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता है। यही नहीं हाई कोर्ट ने आदेश की कॉपी संबंधित प्रधान जिला न्यायाधीश के साथ ही ट्रेनिंग सेंटर के निदेशक को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भी भेजने का निर्देश दिया है।
मां ने बेटे को की थी वसीयत
मामला ग्वालियर जिले के ग्राम बिल्हेटी की एक जमीन से जुड़ा है। वादी मुन्नीदेवी ने एक सिविल सूट दायर किया था, जिसमें पैतृक संपत्ति में एक तिहाई हिस्सा देने की मांग की गई थी। सुनवाई शुरू होती और केस गवाही की प्रक्रिया तक पहुंचता, इससे पहले गत 12 मई 2024 को उनकी मृत्यु हो गई। गत 4 मई को एक संशोधित वसीयत में उन्होंने अपने बेटे को केस में वारिस उत्तराधिकारी बनाया गया था।
सुनाया अजीब फैसला
पैतृक संपत्ति के मामले में सिविल जज ने अजीब फैसला दिया था। मां ने वसीयत में बेटे को वारिस बनाया था। सिविल जज ने उसे नहीं माना। मामले को लेकर बेटे ने ग्वालियर हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान बेटे का दवा वाजिब पाया। हाईकोर्ट ने सिविल जज का आदेश निरस्त कर यह टिप्पणी की है।
Hemant Bhatt