विमोचन : तालिया की गड़गड़ाहट, हंसी खुशी का माहौल, कुछ हकीकत, कुछ फसाने के बीच "गुनगुनी धूप सी कहानियां" हो गई सुधिपाठकों की

⚫ कथाकार वैदेही कोठारी के कहानी संग्रह का प्रेस क्लब भवन में हुआ समारोह पूर्वक विमोचन
⚫ विमोचन की भूमिका निभाई पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. उषा ठाकुर, अंतरराष्ट्रीय कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य, शिक्षाविद डॉक्टर प्रवीण दवेसर और भाजपा के प्रदीप पांडेय ने
⚫ संस्कारयुक्त परिवार ही एक सशक्त राष्ट्र की नींव : डॉ. उषा ठाकुर
⚫ आज भावनाओं का स्थान ले लिया तकनीक ने : बाबा सत्यनारायण मौर्य
⚫ सामाजिक चेतना और स्त्रियों की मनःस्थिति को व्यक्त करता है कहानी संग्रह : प्रदीप पांडेय
हरमुद्दा
रतलाम, 3 जून। रवि अस्ताचल की ओर था। तालियों की गड़गड़ाहट हो रही थी। हंसी खुशी के माहौल के बीच कुछ हकीकत, कुछ फसाने सुनाए जा रहे थे, तभी कथाकार वैदेही कोठारी का कहानी संग्रह "गुनगुनी धूप सी कहानियां" पाठकों की हो गई। कहानी संग्रह के विमोचन की भूमिका का निर्वाह करने के लिए पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. उषा ठाकुर, अंतरराष्ट्रीय कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य, शिक्षाविद डॉक्टर प्रवीणा दवेसर और भाजपा के प्रदीप पांडेय अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
दीप प्रज्वलन से शुरुआत
प्रारंभ में अतिथियों ने सरस्वती वंदना के साथ दीप प्रज्वलन किया। मंचासीन अतिथियों का स्वागत लेखिका वैदेही कोठारी, खुशबू जांगलवा, दैनिक स्वदेश इंदौर के संदीप निरखीवाले (इंदौर), नेपथ्य पत्रिका के संपादक तुमुल सिन्हा (भोपाल), दैनिक गुरु एक्सप्रेस मंदसौर के संपादक आशुतोष नवाल और अमित राव (देवास), तुषार कोठारी ने किया।
23 सालों से पत्रकारिता और साहित्य क्षेत्र में सक्रिय वैदेही कोठारी
लेखिका श्वेता नागर ने अतिथियों का परिचय देते हुए कथाकार वैदेही कोठारी के संदर्भ में बताया कि 23 सालों से पत्रकारिता और साहित्य क्षेत्र में सक्रिय हैं। देश से प्रकाशित लगभग हर हिंदी पत्र पत्रिकाओं में उन्हें स्थान मिलते रहे हैं। कई पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं। लेखन के प्रति समर्पण और विषयों की सामाजिक गहराई ने उन्हें एक सशक्त स्त्री स्वर के रूप में स्थापित किया है। वर्तमान में कथाकार कोठारी बाल कल्याण समिति की सक्रिय सदस्य भी हैं। समाज के उपेक्षित वर्गों विशेषकर बच्चों और महिलाओं के लिए उनकी संवेदनशील दृष्टि उनकी कहानियों में स्पष्ट परिलक्षित होती है।
कहानी संग्रह के संबंध में डॉक्टर प्रवीण दवेसर के विचार
समारोह की अध्यक्षता कर रही शिक्षाविद् डॉ. प्रवीणा दवेसर ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा, कि “यह पुस्तक एक दर्पण है, जिसमें हम अपने समाज, संबंधों और आंतरिक द्वंद्व को देख सकते हैं। 'नंदिनी' जैसी कहानी पाठक को भीतर तक झकझोर देती है।
हर कहानी पाठक के अंतर्मन को छूने की ताकत रखती है।” वैदेही कोठारी का यह प्रयास स्त्रियों की आवाज, संघर्ष और सामर्थ्य को समाज के हर कोने तक पहुंचाने की एक सशक्त कड़ी बनेगा, इसमें कोई संदेह नहीं।
लेखिका ने जताया आभार
लेखिका वैदेही कोठारी ने मंच से सभी साहित्यप्रेमियों, श्रोताओं, और रचनाकारों का भावुक होकर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा – “यह मेरे लिए केवल किताब का विमोचन नहीं है, बल्कि मेरी आत्मा की उन अनुभूतियों का उत्सव है जिन्हें मैंने कहानियों के रूप में अभिव्यक्त किया है।
शहर के सुधिजन थे मौजूद
रतलाम प्रेस क्लब भवन के सभागार में हुए विमोचन समरोह में शहर के गणमान्य जन के अलावा सुधिपाठक, शुभचिंतक, संपादक, साहित्यकार, कवि, कथाकार, पत्रकार, डॉक्टर, वैद्य मौजूद थे। संचालन अदिति मिश्रा ने किया।
संस्कारयुक्त परिवार ही एक सशक्त राष्ट्र की नींव
“रचनात्मक लेखन समाज की वैचारिक चेतना को जाग्रत करता है। वैदेही कोठारी की यह पुस्तक न केवल साहित्यिक रचना है, बल्कि सामाजिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का प्रयास भी है।” उन्होंने राष्ट्रप्रेम, लव जिहाद, और हवन जैसे विषयों पर भी अपने विचार प्रकट किए और कहा कि संस्कारयुक्त परिवार ही एक सशक्त राष्ट्र की नींव होते हैं।
⚫ डॉ. उषा ठाकुर, विधायक महू, पूर्व मंत्री
आज भावनाओं का स्थान ले लिया तकनीक ने
“आज भावनाओं का स्थान तकनीक ने ले लिया है, ऐसे में वैदेही जैसे लोग समाज को उसकी आत्मा की याद दिला रहे हैं।” सरलता, लक्ष्य और जड़ों से जुड़े रहना बहुत जरूरी है।
⚫ बाबा सत्यनारायण मौर्य, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त चिंतक, कवि और कलाकार
सामाजिक चेतना और स्त्रियों की मनःस्थिति को व्यक्त करता है कहानी संग्रह
“एक कलमकार समाज को सही दिशा देता है। यह कहानी संग्रह वैदेही की संघर्ष यात्रा, उनकी सामाजिक चेतना और स्त्रियों की मनःस्थिति को बेहद संजीदगी से प्रस्तुत करता है।”
⚫ प्रदीप पाण्डेय, जिला प्रभारी भाजपा